न्यूज डेस्क (श्री हर्षिणी सिंधु): अलास्का के एंकरेज शहर में चीन और अमेरिका (China and America) के बीच तनाव कम करने के लिए दोनों देशों को के प्रतिनिधि मंडल के बीच उच्च स्तरीय बैठक बीते गुरुवार आयोजित की गई। बैठक के दौरान दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच खुलकर तीखी नोकझोंक की तस्वीरें सामने आयी। करीब एक घंटे तक मीटिंग के दौरान काफी तनावपूर्ण माहौल देखने को मिला। दुनिया के दो ताकतवर मुल्कों के बीच इस तरह की खुली तकरार आज से पहले कभी देखने को नहीं मिली। इस दौरान अमेरिकी विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन ने चोटी के चीनी के राजदूतों से सख़्त लहज़े में कहा कि, बीजिंग अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों की बुनियाद पर रखी शांति व्यवस्था और स्थिरता से खिलवाड़ कर रहा है। जिससे वैश्विक परिवेश का माहौल लगातार बिगड़ रहा है। दूसरी ओर चीन ने वॉशिंगटन पर अपनी सामरिक और आर्थिक ताकत का गलत इस्तेमाल करते हुये धमकाने का आरोप मढ़ा।
इस बैठक में अमेरिका की ओर विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन और अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवान वाशिंगटन का पक्ष रख रहे थे। दूसरी और बीजिंग की तरफ से कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के विदेश मामलों के निदेशक यांग जेइची और चीनी विदेशी मंत्री वांग यी ने ड्रैगन की अगुवाई कर रहे थे। बैठक के दौरान ब्लिंकन ने खुलकर चीनी प्रतिनिधिमंडल से कहा कि, अमेरिका उईगर, हांगकांग, ताइवान और चीनी साइबर अटैक को लेकर काफी संजीदा है। साथ ही अमेरिका के सहयोगी देशों का बीजिंग की ओर बना आर्थिक दबाव गहरी चिंता का विषय है। इन हरकतों को अंजाम देकर बीजिंग अंतर्राष्ट्रीय कानूनों कानूनों की बुनियाद पर रखी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए खतरा बन रहा है। जिससे विश्व में सामरिक असंतुलन और अस्थिरता (Strategic Imbalance and Instability) पैदा हो रही है।
इस मौके पर अमेरिकी प्रतिनिधियों ने चीन से उम्मीद जतायी कि वो अपने मौजूदा बर्ताव के बदलाव लायेगें, जिससे कि ट्रंप शासनकाल के दौरान खराब हुए अमेरिकी-चीनी द्विपक्षीय संबंध फिर से सुधरेंगे। इसी बयान पर चीनी डिप्लोमेट यांग जेइची ने वाशिंगटन पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि, अमेरिका अपनी सामरिक ताकत और आर्थिक हैसियत का इस्तेमाल करते हुए बीजिंग पर बेबुनियादी दबाव बना रहा है। अमेरिका कारोबारी रिश्तों भी ताक पर रखा रहा है। वाशिंगटन चीन की संप्रभुता और अक्षुण्णता (China’s sovereignty and integrity) पर हमला करने के लिए कुछ देशों को भड़काने का काम कर रहा है। चीन किसी भी देश के आंतरिक मामलों में अमेरिकी दखल का खुला विरोध करता है।
एक चीनी राजनयिक ने अमेरिका को मानव अधिकारों का हवाला देते हुए कहा कि, वॉशिंगटन के हुक्मरानों सबसे पहले अपने मुल्क में ह्यूमन राइट्स को बेहतर ढ़ंग से लागू करना चाहिए। चीन में तुलनात्मक रूप से मानवाधिकारों के हालात काफी बेहतर है। हमारा देश मानव अधिकार के संरक्षण में काफी आगे है। इस बयान पर अमेरिकी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर सुलिवान ने कहा कि, हम उनके (चीन) साथ किसी भी तरह का आर्थिक और सामरिक टकराव नहीं चाहते। अमेरिका हमेशा से ही अपने सिद्धांतों, लोगों और सहयोगियों के साथ मजबूती से खड़ा रहा है। गौरतलब है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान अमेरिकी चीन संबंध बेहद नाजुक दौर से गुजरे थे।
ट्रंप प्रशासन ने कोरोना महमारी, दक्षिणी चीन सागर में बीजिंग के बढ़ते वर्चस्व और उईगर मुसलमानों की दोयम दशा को लेकर काफी सख्त रवैया अख्तियार किया था। हांगकांग में नये सुरक्षा कानून और शिनजियांग प्रांत में उईगर मुसलमानों की जासूसी को को लेकर ट्रंप सरकार ने अमेरिका में कई चीनी कंपनियों को प्रतिबंधित किया, साथ ही कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के अधिकारियों अमेरिकी वीजा आबंटित करने पर भी रोक लगाई थी।