न्यूज डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया (Antilia) के पास जिलेटिन रॉड से भरी महिन्द्रा स्कॉर्पियों मामले में सनसनीखेज खुलासा सामने आ रहा है। इस प्रकरण में मुंबई के पूर्व पुलिस कमीश्नर की एक चिट्ठी में दावा किया गया है कि गृहमंत्री अनिल देशमुख ने सचिन वझे को हर महीने 100 करोड़ रूपये इकट्ठा करने के निर्देश दिये थे। मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे खत में इस बात का जिक्र किया। जानकारों की मानें तो ये मामला काफी हाईप्रोफाइल बनता जा रहा है, जिसकी कड़ियां राजनीतिक गलियारों से जुड़ी हुई है।
चिट्ठी में परमवीर सिंह ने लिखा कि जब सचिन मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच में इंटेलिजेंस यूनिट के हेड थे। तब उन्हें महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कई बार अपने सरकारी आवास ज्ञानेश्वर पर बुलाया। साथ ही उन्हें बार-बार रुपये कलेक्शन करने के निर्देश भी दिये। फरवरी महीने के दौरान गृह मंत्री के सचिन वझे पहुँचे तो गृहमंत्री के निजी सचिव की मौजूदगी में उन्हें पैसों कलेक्शन की बात कही गयी।
इस मामले पर अनिल देशमुख का बयान भी सामने आया उन्होंने कहा कि, परमवीर सिंह खुद को पाक-साफ बताने और कानूनी कार्रवाई से बचने के लिये उन पर ये बेबुनियादी इल्जाम (Baseless accusation) लगा रहे हैं, जबकि एंटीलिया के बाहर विस्फोटक मिलने के मामले में सचिन वझे का हाथ होने की बात पूरी तरह साफ हो चुकी है। परमवीर सिंह को लगता है कि जांच की आंच उन तक भी पहुंच सकती है, इसीलिए वो ऐसी हरकतें कर रहे हैं।
हाल ही में परमजीत सिंह को मुंबई पुलिस कमिश्नर के पद से हटाया गया। जिसके बाद उन्होंने आज मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को चिट्ठी लिखी। जिसमें महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर ये बड़ा आरोप लगाया कि सचिन वझे को अनिल देशमुख में हर महीने सौ करोड़ रूपये इकट्ठा करने के की हिदायत दे रखी थी। दिलचस्प ये भी है कि और अर्णब गोस्वामी के टीआरपी स्कैम (Arnab Goswami’s TRP scam) की जांच सचिन वझे के पास ही थी। माना जा रहा है कि सचिन वझे किसी बड़ी सियासी साजिश का बहुत छोटा मोहरा हो सकते हैं।
माना जा रहा है कि केन्द्र सरकार और महाराष्ट्र महाविकास अघाड़ी गठबंधन के बीच राजनीतिक उठापटक के बीच सचिव वझे फंसे हुए है। मामले की आंच से उद्धव ठाकरे सरकार पर संकट के बादल मंडराते दिख रहे है। अगर इस मामलों को लेकर शिवसेनी अपने सहयोगियों कांग्रेस और एनसीपी को विश्वास में नहीं ले पाती है तो महाराष्ट्र सरकार भी गिर सकती है।