न्यूज डेस्क (प्रियंवदा गोप): त्रिस्तरीय पंचायती चुनावों से पहले योगी सरकार (Yogi Government) पूरी तरह एक्शन में नजर आ रही है। इसी कवायद के तहत 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को अनिवार्य सेवानिवृति का फरमान जारी कर दिया गया है। अमिताभ ठाकुर उस वक्त चर्चा में आये, जब उन्होने पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव पर केस दर्ज करवाया था। इस मामले पर उन्होनें ट्विट कर लिखा कि-अमिताभ ठाकुर को लोकहित में सेवा में बनाये रखे जाने के उपयुक्त न पाते हुए लोकहित में तात्कालिक प्रभाव (immediate effect) से सेवा पूर्ण होने से पूर्व सेवानिवृत किये जाने का निर्णय लिया गया है।
अमिताभ ठाकुर इंस्पेक्टर जनरल रूल एंड मैन्युअल (Amitabh Thakur Inspector General Rule and Manual) के पद पर कार्यरत थे, उन्होंने एक और ट्वीट में लिखा कि मुझे अभी-अभी लोकहित में सेवानिवृत्ति का फरमान जारी हुआ है। सरकार को अब मेरी सेवाएं नहीं चाहिए जय हिंद। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार ने पुलिस विभाग के दो और आला अधिकारियों राकेश शंकर और राजेश कृष्ण की सेवाओं पर भी रोक लगा दी है। आईजी रूल्स एवं मैनुअल के पद पर रहते हुए अमिताभ ठाकुर कई विभागीय कार्रवाईयों का सामना कर रहे थे। दूसरे अधिकारी राजेश कृष्ण सेनानायक पीएसी 10 बटालियन बाराबंकी में तैनात थे। उन पर आजमगढ़ में पुलिस भर्ती के दौरान भष्ट्राचार के आरोप लगे थे। इसके साथ तीसरे अधिकारी डीआईजी एस्टेबलिस्मेंट राकेश शंकर पर देवरिया शेल्टर होम प्रकरण में शामिल होने की संदिग्ध भूमिका के आरोप है।
अमिताभ ठाकुर के खिलाफ पांच विभागीय जांच कार्रवाई हुई थी। उन पर आय से अधिक संपत्ति इकट्ठा करने के आरोप है। साल 1993 से 1999 के बीच उनकी चलअचल संपत्तियों में काफी गड़बड़झाला पाया गया। साथ ही उनके बच्चों और पत्नी के नाम पर कई चल-अचल संपत्ति और बैंक सेविंग्स है। अखिलेश सरकार के दौरान लखनऊ में उन पर केस दर्ज करवाया गया था। साथ ही बतौर आईपीएस का पदभार संभालते ही उन्होंने अपनी संपत्तियों का ब्यौरा उत्तर प्रदेश प्रशासन को उपलब्ध नहीं करवाया था। इस सभी के चलते उन पर अखिल भारतीय आचरण नियमावली 1968 के नियम 16(1) तथा 16(2) का उल्लंघन करने के आरोप लगे थे। साल 2015-16 के बीच उन पर चार बार विभागीय कार्रवाइयां की गयी थी।