न्यूज डेस्क (यामिनी गजपति): उत्तर प्रदेश में पंचायती चुनाव (UP Panchayat Chunav) की बयार काफी सरगर्मी से बह रही है। ग्राम पंचायतों के कई बड़े दिग्गज़ चेहरे रिजर्वेशन के कारण हुई सीट रोटेशन से इस चुनावी मुकाबले से बाहर हो चुके हैं। कई लोगों को अपनी सालों की मेहनत जाया होते देख दुख सता रहा है। इसी सिलसिले में बलिया के प्रखंड मुरली छपरा के तहत ग्राम पंचायत शिवपुर कर्ण छपरा से एक दिलचस्प मामला सामने आया। जहां एक शख्स ने अपनी मेहनत को बर्बाद होने से बचाने के लिए अनोखा रास्ता अख़्तियार किया। जिसके चलते उसे मजबूरन शादी का सहारा लेना पड़ा।
मामला 45 वर्षीय हाथी सिंह से जुड़ा हुआ है। वो काफी लंबे समय से बतौर समाजसेवक काम कर रहे है। आगामी ग्राम पंचायत चुनावों में वो चुनावी मुकाबले में ताल ठोंकने वाले थे, लेकिन वो सीट एकाएक महिला आरक्षित सीट में तब्दील हो गयी, जिस पर वो चुनाव लड़ने वाले थे। इससे पहले भी वो साल 2015 के दौरान चुनाव लड़ चुके थे, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस बीच उनके किसी समर्थक ने उन्हें शादी करने की सलाह दी। उन्हें समझाया गया कि अगर वो शादी कर ले तो उनकी जगह पर उनकी पत्नी बतौर प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतर सकती है।
सुझाव पर अमल करते हुए हाथी सिंह ने स्थापित हिंदू मान्यताओं को दरकिनार कर बीते 26 मार्च को खरमास के दौरान शादी रचा ली। गौरतलब है कि सनातन परंपराओं में इस दौरान शादी करना अशुभ माना जाता है। दूसरी ओर चुनावी मैदान में उतरने के लिए 13 अप्रैल से पहले नॉमिनेशन कराने के लिए उनका शादी करना बेहद जरूरी हो गया था। इसीलिए जल्दबाजी में शादी का कार्यक्रम रखा गया। हाथी सिंह की दुल्हन फिलहाल ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही है और ग्राम पंचायत का चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है।
इस बीच हाथी सिंह ने मीडिया के सामने दावा किया कि, वो लगातार पिछले 5 सालों से प्रधानी का चुनाव जीतने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे है। साथ ही उनके समर्थक भी प्रचार में पूरी तरह मैदान में डटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि मैनें जीवन में कभी भी शादी ना करने का फैसला किया था, लेकिन समर्थकों के भारी दबाव के चलते मुझे अपने इस फैसले से पीछे हटना पड़ा। मेरे घर में मां 80 साल की है, इसलिए वो चुनाव नहीं लड़ सकती। जिसके कारण मजबूरन मुझे शादी करने का फैसला लेना पड़ा।