न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ): बीते शनिवार छत्तीसगढ़ के बीजापुर और सुकमा जिलों की सीमा पर नक्सलियों हुई मुठभेड़ (Chhattisgarh Encounter) के दौरान 22 जवानों का शहादत हासिल हुई। साथ ही 31 जवान बुरी तरह घायल हुए। नक्सलियों और ज़वानों के बीच करीब चार घंटे तक भारी फायरिंग चलती रही। इस ऑप्रेशन में सीआरपीएफ के जवान, एलीट यूनिट कोबरा के जवान, राज्य पुलिस का जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के दस्ते का जवान और स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के 2,000 से ज़्यादा जवान शामिल थे। माओवादी विद्रोही इलाके में इस ज्वॉइंट टीम में एम्बुश की कार्रवाई की थी, लेकिन नक्सलियों ने ज़वानों का काउंटर यू शेप एम्बुश में फंसाकर बड़ी वारदात को अंज़ाम दे डाला। इस दौरान शीर्ष नक्सली कमांडर मडवी हिडमा और उसके वरिष्ठ सहयोगी मौके से फरार हो गये।
खुफ़िया इनपुट बताते है कि माओवादियों ने वारदात का गुरिल्ला वॉरफेयर पद्धति का इस्तेमाल किया। जिसे बेहद शतिराना ढंग से तैयार किया गया था। 22 सुरक्षाकर्मियों को शहीद करने के बाद नक्सली उनके हथियार लूटकर ले भागे। माओवादियों की भारी गोलाबारी से सुरक्षाकर्मी हैरान रह गये। एंबुश में फंसने के बाद दोनों तरफ के लोगों ने जमकर काउंटर फायर किये।
कौन है नक्सल कमांडर मडवी हिडमा?
हिडमा उर्फ हिदमन्ना बस्तर में सबसे वांछित आतंकी चेहरों में से एक होने के साथ नक्सलियों का टॉप कमांडर भी है। हिडमा पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला सेना (PLGa) बटालियन नंबर 1 नेता है। हिडमा सुकमा जिले के पुवर्ती गांव का आदिवासी है और उसने 1990 के दशक में विद्रोही माओवादी गुटों से हाथ मिलाया था। वो अपने खूंखार घातक हमले और एम्बुशिंग के लिए जाना जाता है। मडवी हिडमा के अन्तर्गत महिला समेत 250 माओवादी लड़ाके आते है। इसके साथ ही वो माओवादी दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेड) का भी हिस्सा हैं। हिडमा सीपीआई (माओवादी) की 21 सदस्यीय सर्वोच्च समिति में सबसे कम उम्र की सदस्य हैं। इसलिए उस पर 40 लाख रुपये का इनाम रखा गया है। एनआईए ने भीम मंडावी हत्याकांड में हिडमा के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है।
माओवादियों के काम करने का तौर तरीका
माओवादियों द्वारा हर साल जनवरी से जून तक सामरिक जवाबी कार्रवाई अभियान (TCOC) शुरू किया जाता है, जिसमें कट्टर वामपंथी ताकतें सुरक्षा बलों को निशाना बनाते हुए जानलेवा घात लगाकर हमला करती है। ये ऐसा वक्त होता है, जब पेड़ के पत्तें भारी तादाद में झड़ते है। इन्हीं सूखे पत्तों की मदद से माओवादियों का हमला करने में खासा मदद मिलती है। अपने ऊपर पत्ते डालकर वो बेहतरीन केमोफ्लैज की स्थिति हासिल कर लेते है। जिसकी आड़ में वो सुरक्षा बलों का काफी आसानी से निशाना बन पाते है। इसके साथ ही उनके पास जंगल की जुड़ी बारीक से बारीक जानकारी होती है। जिसका फायदा उठाकर वो सुरक्षाबलों पर भारी पड़ते है।
बीज़ापुर में शनिवार को हुआ नक्सली हमला
सुरक्षा बलों के मुताबिक इस ऑप्रेशन में 15 नक्सली मारे गए और 20 बुरी तरह जख़्मी हुए। छत्तीसगढ़ में हमले में मारे गये 14 सुरक्षाकर्मियों के ताबूतों पर आज (5 अप्रैल) को गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने माल्यार्पण कर उन्हें भावभीनी विदाई दी। इस मौके पर गृह मंत्री अमित शाह ने मीडिया से कहा कि, इस तरह के खून-खराबे को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। माओवादियों के साथ चल रही लड़ाई को खत्म करने के लिए जल्द ही ठोस जवाब दिया जायेगा।