न्यूज डेस्क (गंधर्विका वत्स): म्यांमार (Myanmar crisis) के सैनिकों ने बुधवार (7 अप्रैल 2021) को तख्तापलट विरोधी प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध गोलीबारी की। जिसमें कम से कम 13 लोग मारे गये और कई बुरी तरह जख़्मी हुए। इस बीच वाणिज्यिक राजधानी यांगून में चीनी मालिकाना हक़ वाली फैक्ट्री में आग लग गयी, इस बीच कई आंदोलनकारियों ने चीनी झंडे को जला अपना गुस्सा ज़ाहिर किया।
1 फरवरी के तख्तापलट के विरोध में सुरक्षाबलों ने कम से कम 581 प्रदर्शनकारियों और उपद्रवियों को मार गिराया है, जो राजनीतिक कैदियों के लिए सहायता मुहैया करवा रहे थे। आंग सान सू की की चुनी हुई सरकार को सत्ता से बेदखल करने के बाद फैला राष्ट्रव्यापी विरोध और हमले लगातार जारी है। सेना ने घातक हथियारों का इस्तेमाल कर लोकतन्त्र की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों को शांत करने में लगी हुई। इसी क्रम में म्यांमार की वायुसेना में अपने लोगों पर हवाई हमले (Air strike) भी किये।
सुरक्षा बलों ने बुधवार को उत्तर-पश्चिमी शहर कलाय में प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी कर पूरा शहर तबाह कर दिया क्योंकि इस शहर के लोगों की बड़ी तादाद ने सैन्य तानाशाह के खिलाफ आवाज़ उठाते हुए आंग सान सू की की नागरिक सरकार की बहाली की मांग की थी। शहर में सैनिकों ने भारी हथियारों से तोड़फोड़ जिसमें मोर्टार, ग्रेनेड और आरपीजी (Mortars, Grenades and RPGs) खासतौर से शामिल थे। इसी से जुड़ा एक वीडियों सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। जिसमें दावा किया गया सैनिकों ने आम नागरिकों पर रॉकेट हमले किये।
यंगून के उत्तर-पूर्व के बागो समेत दूसरे शहरों और कस्बों में बुधवार को सरकार विरोधी प्रदर्शन जारी रहे। साओनिंग क्षेत्र की राजधानी मोनीवा में विरोध प्रदर्शन के दौरान एक शख़्स की मौत हो गयी। दक्षिणी शान राज्य में न्यंग श्वे शहर में भी एक मौत की खब़ सामने आयी है। इसी क्रम में दक्षिणी शहर दावई में कम से कम नौ गिरफ्तारियां हुई।
यहां से हुई इस मामले की शुरूआत
तख्तापलट से ठीक दो महीने पहले म्यांमार में आम चुनाव हुए थे और इन चुनावों में आंग सान सू की की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी ने 498 में से 396 सीटें जीती थीं। वो दूसरी बार सरकार बनाने में कामयाब रहीं लेकिन दो महीने के भीतर ही उनसे सत्ता छीन ली गयी। उनकी प्रशासनिक और विधायी ताकतों को सैन्य तानाशाह ने बर्खास्त कर उन्हें हिरासत में ले लिया।
जिसके बाद सेना ने आंग सान सू की पर चुनाव में धांधली के आरोप लगाया। तब ये भी कहा गया था कि म्यांमार के चुनाव आयोग ने आंग सान सू की को जीतने में मदद की है। सेना द्वारा लगाये गये आरोपों के बाद ही वहां गृह युद्ध और संघर्ष के हालात पनपे।