न्यूज डेस्क (नई दिल्ली): प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi) के भाषण, फोटोग्राफी सेशन, पहनावा और सभी कार्यक्रमों की देखरेख एक बड़ी टीम करती है। ये टीम यहां तक तय करती है कि भाषण के दौरान उनके हावभाव क्या होने चाहिये। इसी क्रम में सूत्रों के हवाले से एक बड़ा खुलासा हुआ है कि पीएम मोदी की कथित जनसम्पर्क टीम (Public relations team) ने प्रधानमंत्री को शांति को नोबेल पुरस्कार दिलाने के लिए कमर कसी ली है। जिसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वैक्सीन डिप्लौमेसी को आधार बनाया जायेगा। विश्व के कई देशों को कोरोना वैक्सीन मुहैया करवाने का सुझाव इसी टीम ने प्रधानमंत्री कार्यालय को दिया था। जिसके बाद से अब तक ये टीम लगातार पीएम मोदी की एक खास किस्म की छवि गढ़ने में लगी हुई है। जिसका सीधा फायदा उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार में मिलेगा।
पीएम मोदी का मौजूदा हुलिया और वैक्सीन डिप्लौमेसी इसी कवायद की शुरूआती हिस्सा भर है। इनकी मदद से उनकी वैश्विक छवि को स्थापित किया जा रहा है। जिससे कि उनकी दावेदारी कहीं से भी कमतर ना दिखे। हाल ही ब्राजील समेत दुनिया के कई तमाम देशों में भारत की ओर से कोरोना टीका भारी तादाद में भेजा गया। जिसके बाद से प्रधानमंत्री को ग्लोबल मीडिया में खासा तव़्ज़्जो दिया गया। जो कि अभी भी जारी है। गौरतलब है कि पीएम मोदी की जनसम्पर्क टीम मार्केटिंग, साइकोलॉजिकल, डेटा आधारित कॉन्टेंट ट्रिक्स (Data based content tricks) की इस्तेमाल करती है। जिससे कि उनकी एक खास किस्म की छवि बनी हुई है। आम जनता इस बात से अंज़ान बनी रहती है कि, जो छवि उनकी दिमाग में प्रधानमंत्री की बनी हुई है वो बनावटी तौर पर तैयार कर उनके दिमाग में डाली गयी है।
सूत्रों के मुताबिक माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में पीएम मोदी को शांति के नोबेल पुरस्कार के लिए सिलसिलेवार तरीके से कई हैशटैग्स ट्रैंड करेगें। साथ ही इसके लिए ऑनलाइन मुहिम भी शुरू की जायेगी। जानकारों के मुताबिक कई ऐसी फर्में है, जो इस काम के लिए पेशेवर सेवायें मुहैया करवाती है। जिनमें लॉबिंग, ग्लोबल मीडिया कवरेज, इमेज मेकिंग और परसेप्शन मैनेजमेंट (Perception management) का काम खासतौर से शामिल है।
कुछ इस तरह की कोशिश डोनाल्ड ट्रंप ने की थी। ट्रंप ने इजरायल और सउदी क्राउन प्रिंस के बीच समझौता करवाकर शांति का नोबेल पुरस्कार पाने की नाकाम कोशिश की थी। इसी क्रम में डोनाल्ड ट्रंप ने कई देशों के बीच शांतिदूत बनकर समझौते करवाये थे। अब देखना दिलचस्प रहेगा कि पीएम मोदी की पीआर टीम की कोशिशें उन्हें शांति का नोबेल पुरस्कार दिलाने में कामयाब हो पाती है या नहीं।