न्यूज डेस्क (गौरांग यदुवंशी): आने वाले कुछ दिनों या महीनों में देशभर में महंगाई (Inflation) का दौर एक बार फिर चरम पर होगा। जानकारों के मुताबिक डीजल, पेट्रोल और खाने पीने की चीजों को छोड़कर बाकी सभी चीजों के दाम अगली छमाही से पहले घटने वाले नहीं है। इसके पीछे सीधे तौर पर कोरोना महामारी काल को बड़ी वज़ह माना जा रहा है। जिसकी वजह से डिमांड और सप्लाई के बीच भारी असंतुलन पैदा हो गया है। कई उद्योग और धंधे अभी भी ठीक तरह से पुरानी वाली रफ्तार नहीं पकड़ पाये है।
महंगाई में साल की दूसरी छमाही के दौरान थोड़ी बहुत गिरावट आनी शुरू हो जायेगी। साल के आखिरी महीने तक ये गिरावट अपने चरम पर होगी। माना जा रहा है कि दिसंबर तक जो भी गिरावट दर्ज की जाएगी, उससे आम नौकरी पेशा नागरिक संतुष्ट नहीं होगा। लंबे समय से बंद औद्योगिक गतिविधियों (Industrial activities) में एक बार फिर से जान फूंकने के लिये बड़ी तादाद में कच्चे माल की दरकार होगी। ऐसे में कच्चे माल का उत्पादन और बिक्री में खासा इजाफा दर्ज किया जायेगा। इसके साथ ही खाने पीने की चीजों के दाम बेहद संतुलित ढंग से बढ़ने के साथ घट सकते है। फसली पैदावार अच्छी होने की वज़ह से दलहन-तिलहन सब़्जियों और अनाज़ों के दामों में ज़्यादा बदलाव आने के आसार नहीं है।
बढ़ते कोरोना संकट. कर्फ्यू और लॉकडाउन जैसी कवायदों का सीधा असर मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर पर पड़ेगा। जिससे चीज़ों के दामों पर बढ़ोत्तरी दर्ज की जा सकती है। इस साल मार्च महीने के दौरान थोक महंगाई दर बीते आठ सालों के उच्चतम स्तर 7.39 प्रतिशत पर दर्ज की गयी। जिसके पीछे क्रूड ऑयल और मेटल (Crude Oil and Metal) के बढ़ते दामों को बड़ी वज़ह माना गया। ठीक पिछले समय इसी समयावधि के दौरान इनकी कीमतें बेहद कम थी। ऐसे में महामारी के प्रकोप की दूसरी देशव्यापी लहर अपने चरम पर है। अब केन्द्र सरकार पूरे देश में लॉकडाउन लागू करने के हालात में नहीं है। बहुत से राज्यों कई सैक्टर्स को प्रोडक्शन करने की छूट दे दी गयी है। कई कारोबारी पिछले हुए लॉकडाउन के दौरान नुकसान की भरपाई के लिये इस साल वेतन वृद्धि करने से कतरा रहे है। जिसकी वज़ह से असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की परचेजिंग पावर घटेगी। ऐसे में उन मंहगाई डायन की सीधी चोट पड़ना तय है।
बात करें आंकड़ों की तो इस साल मार्च महीने से पहले सबसे ज़्यादा थोक मंहगाई दर साल 2012 में अक्टूबर महीने के दौरान दर्ज की गयी थी। जो कि 7.4 दर्ज की गयी थी। इसी साल मार्च महीने में पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण बिजली दामों में 10.25 का सीधा इज़ाफा दर्ज किया गया था। इस बीच कोरोना टीकाकरण अर्थव्यवस्था के लिये रोशनी की नयी किरण बनकर आया है। जिसकी वज़ह से औद्योगिक गतिविधियों का चक्का घूम रहा है, लेकिन इतना ही काफी नहीं है। आने वाले कुछ महीने के दौरान रोजाना के इस्तेमाल में आने वाली कई चीज़ों के दामों में 11-11.5 फीसदी का इज़ाफा होगा। साथ ही थोक महंगाई दर के 8 से 8.5 प्रतिशत के बीच बने रहने की पुख़्ता संभावना है।