न्यूज डेस्क (निकुंजा वत्स): पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज (18 अप्रैल 2021) कोरोना संकट (Corona Crisis) पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखा। जिसमें उन्होनें टीकाकरण मुहिम में तेजी लाने के साथ यूरोपीय एजेंसियों या यूएसडीए द्वारा अनुमोदित टीकों को मंजूरी देने सहित केन्द्र सरकार को पांच सुझाव दिये। खत में मनमोहन सिंह ने लिखा कि टीकाकरण के लिये सरकार को तादाद पर ध्यान देने की बजाय देश की कुल जनसंख्या के शत प्रतिशत टीकाकरण पर जोर देना चाहिये।
खत में उन्होनें आगे लिखा कि, कोरोना के खिलाफ हमारी लड़ाई में सिर्फ टीकाकरण मुख्य हथियार है। इसलिये टीकाकरण अभियान में खासा तेजी लायी जानी चाहिये। इस अभियान के दौरान हमारा लक्ष्य टीके से इम्युनिटी पाये लोगों की तादाद पर नहीं बल्कि देश की पूरी आबादी को वैक्सीनेशन की जद में लाने पर हमारा ध्यान होना चाहिये। अपने सुझावों में पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि, केन्द्र सरकार को ये बताना चाहिए कि विभिन्न वैक्सीन उत्पादकों को कितनी खुराकें रखने के अधिकारिक आदेश है? कैसे अगले छह महीनों में वितरण के लिये सरकार किस तरह जरूरतमंद राज्यों तक पारदर्शी तरीके से टीका पहुँचाने वाली है।
मनमोहन सिंह ने सलाह देते हुए लिखा कि, केंद्र सरकार को आपातकालीन जरूरतों के मुताबिक पर डिस्ट्रीब्यूशन के लिये 10 प्रतिशत का स्टॉक बनाये रखना चाहिये। इसके अलावा राज्यों सरकारों को भी संभावित उपलब्धता (Potential availability) से जुड़ी जानकारियां मुहैया करवानी चाहिये ताकि कारगर ढंग से उन्हें वैक्सीन की सप्लाई जारी रखे जा सके।
टीकाकरण पर अभियान पर मनमोहन ने कहा कि, राज्यों को फ्रंटलाइन वर्करों की परिभाषा को विस्तार दिये जाने की जरूरत है। वो लोग जिनकी उम्र 45 साल से कम है, उन्हें भी टीका लगाया जाना चाहिये। भारत दुनिया में सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादक के रूप में उभरा है, सरकार द्वारा अपनायी गयी नीतियों और मजबूत बौद्धिक संपदा संरक्षण के लिए धन्यवाद। ये क्षमता काफी हद तक निजी क्षेत्र में है। सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल के इस क्षण में भारत सरकार की तैयारियों में निरंतरता होनी चाहिए। केन्द्र को पर्याप्त सहायता मुहैया करवानी चाहिये ताकि वैक्सीन उत्पादक विनिर्माण सुविधाओं (Manufacturing facilities) का विस्तार कर सके।
मौजूदा हालातों में वैक्सीन की लाइसेसिंग पर जोर देते हुए उन्होनें लिखा कि, ये कानून में जरूरी लाइसेंसिंग प्रावधानों को लागू करने का वक्त है, ताकि कई कंपनियां लाइसेंस के तहत वैक्सीन का उत्पादन कर सकें। चूंकि घरेलू आपूर्ति सीमित है, इसलिये यूरोपीय मेडिकल एजेंसी या यूएसएफडीए जैसी विश्वसनीय एजेंसियों से मंजूरी मिले टीकों का बेझिझक आयात किया जाना चाहिये और उन्हें घरेलू जांच पड़ताल या टेस्टिंग के अड़ंगों में नहीं फंसाना चाहिये।
खत के आखिर में उन्होनें लिखा कि, मैं समझता हूं कि देश अभूतपूर्व आपातकाल का सामना कर रहा हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक विदेशी विश्वसनीय एजेंसियों से मंजूरी मिले टीके को आपातकालीन स्थिति इस्तेमाल किये जाने की छूट मिलनी चाहिये। भले ही ये सीमित अवधि के लिए हो। मैं रचनात्मक सहयोग की भावना से ये सुझाव आपको भेज रहा हूँ। इसमें मेरी भारी आस्था रही है, और इसमें इस पर हमेशा काम करता आया हूँ।