न्यूज डेस्क (समरजीत अधिकारी): वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) द्वारा करवाये गये सीरो सर्वे में खुलासा हुआ है कि स्मोकिंग करने वालों, वेजिटेरियंस और ओ ब्लड ग्रुप वाले लोगों पर कोरोनो वायरस संक्रमण की बेहद कम संभावना होती है। सीएसआईआर ने ये सर्वे पूरे देशभर में SARS-CoV-2 के खिलाफ एंटीबॉडी की मौजूदगी का अध्ययन किया। जिसमें ये बात सामने निकलकर आयी। इस सर्वे में 140 डॉक्टरों और वैज्ञानिकों के एक दल वैज्ञानिक पद्धति से जांच पड़ताल की। सर्वे के दौरान 140 डॉक्टरों और वैज्ञानिकों के एक दल सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं और केंद्रों में काम करने वाले व्यस्क लोगों पर ये अध्ययन किया। जिनमें उन लोगों के परिवार के सदस्य भी स्वेच्छा से अध्ययन में शामिल हुए।
सर्वेक्षण में ये बात सामने आयी कि सांस से जुड़े रोग होने के बावजूद जो लोग ज़्यादा स्मोकिंग करते है, उनकी नाक के भीतर चिपचिपा पदार्थ (श्लेष्मा) ज़्यादा बनता है। जो कि कोरोना वायरस के खिलाफ पहली रक्षा पंक्ति के तौर पर काम करता है। हालांकि इस निष्कर्ष के साथ चेतावनी के तौर पर ये बात भी साफ कर दी गयी कि कोरोना वायरस के संक्रमण पर धूम्रपान और निकोटीन के असर को समझने के लिए अभी और रिसर्च और स्टडी (Research and study) की जरूरत है।
धूम्रपान को स्वास्थ्य के लिए गंभीर रूप से हानिकारक और कई बीमारियों से जुड़ा हुआ माना जाता है। ऐसे में इस बात को सर्वे का आखिरी नतीज़ा नहीं माना जाना चाहिये। इसके साथ ही शाकाहारी लोग जो फाइबर से भरपूर भोजन लेते है। उनके शरीर में भी कोरोना के खिलाफ मजबूत प्रतिरक्षा तंत्र विकसित होता है। फाइबर भोजन लेने से माइक्रोबायोटा संक्रमण (Microbiota infection) की संभावनायें ना के बराबर हो जाती है।
इसके साथ ही पाया गया कि ‘ओ’ ब्लड ग्रुप वाले लोग संक्रमण के प्रति बेहद कम संवेदनशील है। कोरोना वायरस सबसे ज़्यादा ‘बी’ और ‘एबी’ ब्लड ग्रुप वाले लोगों को अपनी चपेट में लेता है। अध्ययन के दौरान पाया गया कि ‘ओ’ ब्लड ग्रुप वाले लोगों में इंफेक्शन पॉजिटिविटी रेट बेहद कम पाया गया। इस अध्ययन से जुड़े शांतनु सेनगुप्ता ने कहा कि फ्रांस, इटली, चीन और न्यूयॉर्क में भी इसी तरह के सर्वे करवाये गये थे। जिनमें यहीं बात निकलकर सामने आयी थी कि स्मोकिंग करने वाले लोगों पर वायरस की मार कम पड़ती है।
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने 7,000 से ज़्यादा अमेरिकियों की जांच की, जो कि कोरोना पॉजिटिव थे। उसके नतीज़े भी काफी दिलचस्प थे। सर्वेक्षण में पाया गया कि इस कवायद में हिस्सा लेने वाले करीब 1.3 प्रतिशत लोग ही स्मोकर थे। सीडीसी की रिपोर्ट के मुताबिक करीब 14 प्रतिशत अमेरिकी आबादी स्मोकिंग करती है।
इसी तरह यूसीएल (यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन) के शिक्षाविदों ने यूके, चीन, फ्रांस और अमेरिका में की गयी रिसर्च में पाया कि कोरोना के कारण जिन लोगों को अस्पतालों में भर्ती किया गया। उनमें धूम्रपान करने वाले लोगों का अनुपात बेहद कम था। यूसीएल के एक अध्ययन से पता चला है कि यूके में COVID-19 रोगियों में धूम्रपान करने वालों का अनुपात सिर्फ पाँच प्रतिशत था। कुछ इसी तरह का पैटर्न फ्रांस और चीन में हुई रिसर्च और सर्वेक्षणों में देखा गया। जहां स्मोकर्स में संक्रमण का खतरा कम पाया गया।