न्यूज डेस्क (श्री हर्षिणी सिंधू): भारत समेत दुनियाभर के कई मुल्कों पर इस्लामी कट्टरपंथ और दहशतगर्द का खतरा लगातार बना हुआ है। ऐसे में कई देश बुर्कें पर पाबंदी (Ban) लगाने की वकालत तक कर चुके है ताकि कोई आंतकी बुर्कें की आड़ में किसी बड़ी वारदात को अंज़ाम ना दे सके। इसी क्रम में हाल ही में राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुये श्रीलंकाई सरकार ने बुर्का पहनने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है।
श्रीलंका के मंत्रिमंडल ने बीते मंगलवार (27 अप्रैल 2021) को यूएन विशेषज्ञ के बयान और राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए, सार्वजनिक तौर पर बुर्का पहनने और कपड़े से पूरे चेहरे को ढंकने पर प्रस्तावित प्रतिबंध को मंजूरी दे दी। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र संघ में एक सुरक्षा विशेषज्ञ ने दावा करते हुए कहा था कि बुर्का पहनना अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है।
सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री सरथ वेरासेकेरा ने इस बात की पुष्टि अपने फेसबुक पेज पर करते हुए बताया कि, मंत्रिमंडल ने इस प्रस्ताव को अपनी साप्ताहिक बैठक के दौरान मंजूरी दी। अब जल्द ही इस प्रस्ताव को अटॉर्नी जनरल (Attorney General) के पास भेजा जायेगा। जिसके बाद इस कानून की शक्ल अख़्तियार करने के लिये संसद द्वारा अनुमोदन लेना होगा। गौरतलब है कि मौजूदा श्रीलंकाई सरकार सरकार संसद में बहुमत रखती है और प्रस्ताव आसानी से पारित किया जा सकता है।
वेरासेकर ने कहा कि बुर्का एक कपड़ा जो कुछ मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहना जाता है। इससे वो अपने शरीर और चेहरे को ढंकती है। ये सीधे तौर पर धार्मिक अतिवाद की ओर इशारा करता है। इस पर संवैधानिक प्रतिबंध लगाने से राष्ट्रीय सुरक्षा में काफी सुधार होगा। साल 2019 में ईस्टर रविवार को दौरान श्रीलंका में इस्लामिक स्टेट से जुड़ाव रखने वाले दो स्थानीय चरमपंथी अतिवादी मुस्लिम गुटों (Extremist Muslim groups) ने बुर्का की आड़ लेकर आत्मघाती बम हमला किया। जिसमें 260 से ज़्यादा लोग मारे गये। ये हमले 6 जगहों पर हुये। जिनमें दो रोमन कैथोलिक चर्च, एक प्रोटेस्टेंट चर्च और तीन चोटी के होटल शामिल थे।
गौरतलब है कि पिछले महीने पाकिस्तानी राजदूत साद खट्टक ने ट्वीट किया था कि, इस प्रतिबंध से मुसलमानों की भावनायें आहत होंगी। संयुक्त राष्ट्र में स्वतंत्रता और धार्मिक अभिव्यक्ति से जुड़े दूत अहमद शहीद ने ट्विट कर लिखा कि, ये प्रतिबंध अंतरराष्ट्रीय कानून और स्वतंत्र धार्मिक अभिव्यक्ति के अधिकार का हनन होगा। श्रीलंका के 22 मिलियन लोगों में से 9% लोग मुस्लिम हैं, 70% से ज़्यादा बौद्ध हैं। तमिल जातीय अल्पसंख्यक हिंदू हैं, जो कि श्रीलंकाई आबादी का करीब 15 फीसदी है।