न्यूज डेस्क (गौरांग यदुवंशी): देशभर में बढ़ते संक्रमण के खतरे के बीच उत्तराखंड सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए इस साल होने वाली चार धाम यात्रा (Chardham Yatra) को श्रद्धालुओं के लिये स्थगित कर दिया। सीएम तीरथ सिंह रावत की अगुवाई में हुई उच्चस्तरीय बैठक में फैसला लिया गया कि इस दौरान चारों धामों के द्वार और विधि-विधान पूर्ववर्ती तरीके से ही संपन्न होगें। आगामी महीने के दौरान गंगोत्री, केदारनाथ, यमुनोत्री और बद्रीनाथ धामों के कपाट खोल दिये जायेगें। जिला प्रशासन इस दौरान पूजा वंदन से जुड़े कामों पर निगरानी रखेगा। इस फैसले को लेने के लिये बुलायी बैठक में प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज भी मौजूद थे। जिन्होनें इस फैसले को सराहा। इससे पहले तेजी से पांव पसारते वायरस इंफेक्शन को देखते हुए हेमकुंड साहिब की भी धार्मिक यात्रा को प्रदेश सरकार स्थगित कर चुकी है।
प्रदेश में स्थित चारों धामों के कपाट खोलने के तिथियां निर्धारित हो चुकी है। जिसके तहत वैदिक विधि विधान के साथ गंगोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिये 15 मई को सुबह साढ़े सात बजे खोला जायेगा। 17 मई को केदारनाथ धाम भक्तों के लिये खोल दिया जायेगा। बद्रीनाथ धाम 18 मई और 14 मई को यमुनोत्री धाम के दरवाज़े भक्तों के लिये खोल दिये जायेगें। गौरतलब है कि इन धामों के अधिष्ठाता देवी और देवता (Presiding deity) शीतकालीन प्रवास के लिये लाये और ले जाये जाते है। शीत ऋतु में देवी और देवताओं की पूजा अर्चना करने के लिये उन्हें नीचे की ओर मैदानी इलाकों की तरफ ले जाया जाता है। गर्मियों की शुरूआत के साथ पंचांग से मंगल तिथियां निकालकर देवी और देवताओं को डोली में वापस निर्धारित धामों में स्थापित कर दिया जाता है। धामों में वापसी के बाद भक्तों देवी-देवताओं दर्शन के लिये आते है।
इस पुरातन प्रथा का पालन काफी वैभवपूर्ण तरीके से किया जाता है। इस दौरान धार्मिक आयोजन के तहत लोग काफी हर्षोल्लास के बीच डोलियों का दर्शन करने आते है। माना जाता है कि नरेन्द्र नगर के टिहरी राजवंश (Tehri Dynasty) ने भगवान बद्री की डोली निकालने और गीष्मकालीन/शीतकालीन प्रवास की परम्परा को चलाया। इस साल कोरोना महामारी के प्रकोप के बीच इन धामों की यात्रा पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गयी है। प्रदेश से बाहर के लोग धामों के दर्शन नहीं कर पायेगें। अन्य सभी धार्मिक क्रियाकलाप प्रशासन की निगरानी में पूरे करवाये जायेगें।