न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ): अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन (US President Joe Biden) ने आज अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर अमेरिकी रूख़ साफ किया। जिन पर आने वाले दिनों में वाशिंगटन अपनी नीतियां बनायेगा। संबोधन के दौरान राष्ट्रपति बिडेन ने एशिया पैसिफिक इलाके में अमेरिकी सेना को मजबूती देने की पैरोकारी की। जिसके लिए तकनीकी संसाधन को बढ़ावा दिया जायेगा। उन्होंने तेजी से बढ़ते चीन की ओर इशारा करते हुये कहा कि, हमें आने वाले कल के लिये प्रोडक्शन और टैक्नोलॉजी का विकास करना पड़ेगा।
गौरतलब है कि राष्ट्रपति जो बिडेन कई मौकों पर अलग-अलग मंचों से चीन के साथ अमेरिकी प्रतिस्पर्धा वाली विदेश नीति की हिमायत करते आये है। इसकी वकालत खुद उनके मुखर रिपब्लिकन पार्टी के कई आला नेता कर चुके हैं। राष्ट्रपति ने आगे कहा कि वॉशिंगटन, चीन द्वारा किये जा रहे गलत तौर-तरीके वाले कारोबार पर नकेल कसेगा। साथ ही जिस तरह से चीन इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी (Intellectual property) की चोरी कर रहा है, उस पर भी सख्त और पुख्ता कदम उठाए जायेगें। इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी चोरी करने का सीधा असर अमेरिकी बिजनेस इंडस्ट्री और कामगारों पर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को लेकर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से वो अपनी चिंता जाहिर कर चुके हैं।
इस दौरान राष्ट्रपति ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सैन्य बलों की वापसी के मुद्दे पर कहा कि, हमारे जांबाज सिपाही 20 साल से अफगानिस्तान में बहादुरी दिखा रहे हैं। अब वक्त आ गया है कि, उन्हें वापस घर बुलाया जाये। मैं अमेरिकी जनता को आश्वासन देता हूं कि हमारा प्रशासन इस मुद्दे पर काफी संजीदगी से काम करेगा। मौजूदा वैश्विक हालातों में आतंकवाद को लेकर कई नई चुनौतियां पनपी है, जिन्हें लेकर हमें काफी सतर्कता और मुस्तैदी बरतनी होगी। अमेरिका में गोरे लोगों द्वारा अश्वेतों पर किये जा अत्याचार को उन्होनें घरेलू आंतकवाद (Domestic terrorism) का नाम देते हुए कहा कि, विदेशी आतंकवाद के साथ श्वेत लोगों में वर्चस्व और श्रेष्ठता की भावना अपने आप में आतंकी चुनौती है। हम किसी भी सूरत में इसकी अनदेखी नहीं कर सकते। मैं सभी अमेरिकी नागरिकों से गुजारिश करता हूं कि देश के लोकतांत्रिक ढांचे की मजबूती के लिये हम शांति के साथ इस मुद्दे पर एकजुट होना पड़ेगा।
बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग के खतरे और जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रपति ने कहा कि ये मुहिम सिर्फ वाशिंगटन की नहीं बल्कि इसमें पूरे विश्व को साझा तौर पर योगदान करना होगा। अमेरिका सिर्फ 15 फ़ीसदी कार्बन उत्सर्जन करता है, जबकि दुनिया के दूसरे मुल्क 85 फीसदी कार्बन उत्सर्जन करते हैं। इसी वजह से बतौर राष्ट्रपति की जिम्मेदारियां संभालते हुये, मैंने पहले दिन से ही पेरिस जलवायु समझौते में शामिल होने का फैसला लिया। अमेरिकी नागरिकों द्वारा बंदूक और असलहा बारूद रखने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि, हमारी सरकार इस मुद्दे को लेकर काफी गंभीर है। इस कानून में जरूरी सुधार होने चाहिए अमेरिकी आबादी का एक बड़ा हिस्सा इन कानूनों के समर्थन में है। जल्द ही हम संविधान में संशोधन करने जा रहे हैं, जिसके लिए हमें थोड़ा तार्किक होना होगा।