एजेंसियां/नई दिल्ली (श्री हर्षिणी सिंधू): हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट संस्थापक बिल गेट्स (Microsoft founder Bill Gates) ने वैक्सीन तकनीक में पेटेंट के बारे में बयान दिया। स्काई न्यूज को दिये गये साक्षात्कार के दौरान उनसे सवाल पूछा गया कि- क्या कोरोना वैक्सीन उत्पादन के मसले पर इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट एक्ट की पाबंदियां से हटा लेनी चाहिये? जिससे कि दुनिया के सभी देशों के साथ इसका फार्मूला साझा किया जा सके, ताकि टीके की पहुंच सभी मुल्कों तक हो।
इस पर उन्होनें ज़वाब दिया कि- नहीं दुनिया में कोरोना वैक्सीन का उत्पादन करने वाली काफी फैक्ट्रियां है। लोग वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर बेहद संजीदा है, लेकिन फिर भी हमें टीके का फॉम्यूलेशन साझा नहीं करना चाहिये। अमेरिकी कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन की प्रोडक्शन यूनिट और भारतीय टीका उत्पादक कंपनियों में बहुत भारी अंतर होता है। ऐसे में हमारी विशेषज्ञता और पेशेवर काबिलियत (Expertise and professional ability) में काफी पैसा लगता है। नतीजन एक सफल वैक्सीन बनती है।
बिल गेट्स ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि, टीका उत्पादन फार्मूला कोई कुकिंग रेसिपी नहीं है। जिसे किसी के साथ साझा किया जा सके। ये साफ तौर पर बौद्धिक संपदा से जुड़ा मामला भी नहीं है। इसे विकसित करने में काफी सावधानियां बरतनी होती है, टेस्टिंग होती है, ट्रायल होता है। विकसित करने से लेकर उत्पादन करने तक हर चीज बहुत ही गहराई से सावधानीपूर्वक जांची और परखी जाती है।
इस मामले पर विकसित देशों की पैरोकारी करते हुए उन्होंने कहा कि, विकसित देशों को टीका हासिल करने में प्राथमिकता मिलनी चाहिये। अमेरिका और ब्रिटेन में 30 साल की आयु वर्ग वाले लोगों को टीका मुहैया करवाया जा रहा है। लेकिन दूसरी तरफ ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका में 60 साल की उम्र वाले लोगों को टीका मयस्सर नहीं हो पा रहा है। जो कि बेहद गलत है। गंभीर कोरोना वायरस से जूझ रहे मुल्कों को दो से तीन महीनों के भीतर वैक्सीन मिल जानी चाहिये।
बिल गेट्स अपने इस बयान में ये कहना चाहते हैं कि विकसित देशों में टीकाकरण अभियान (Vaccination campaign) पूरा होने के बाद विकासशील देशों को टीका मुहैया कराने की प्राथमिकता मिलनी चाहिये। फिलहाल गेट्स के इस बयान की जमकर सोशल मीडिया पर आलोचना हो रही है। कई लोग उनके इस बयान से आश्चर्य में है, क्योंकि उनका व्यवहार और व्यक्तित्व इस बयान से काफी उलट है।