न्यूज़ डेस्क (नरसिम्हन नायर): केरल में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) की सरकार दूसरी बार वापसी कर रही है। दिलचस्प है कि ईवीएम खुलने के साथ ही एलडीएफ ने लगातार बढ़ते बनाये रखी। केरलवासियों ने सत्ताधारी पार्टी पर एक बार फिर भरोसा जताया है। यूडीएफ रूझानों के दौर भी एलडीएफ के आसपास कहीं भी फटकती हुई नहीं पायी गयी। इसी के चलते लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट को 93 सीटें हासिल हुई, पिछले विधानसभा चुनावों के मुकाबले इस बार एलडीएफ को 3 सीटों का नफ़ा मिला। भारतीय जनता पार्टी मात्र एक ही सीट पर काब़िज हो पायी। एआईयूडीएफ ने 43 सीटों पर जीत के झंड़े गाड़े, जिसके साथ पार्टी को 1 सीट का फायदा मिला। इसके अलावा अन्य खाते में महज़ 3 सीटें आयी, जहां इन्हें 4 सीटों का सीधे नुकसान झेलना पड़ा। इस मौके पर सीपीआई-एम के कोडियरी बालाकृष्णन ने कहा कि, लोगों के जनादेश से साबित होता है कि, केरल की आम जनता LDF सरकार की जन-समर्थक नीतियों (Pro-people policies) से खुश हैं। ये लोगों की जीत है। आधा दर्जन मंत्रियों के साथ पीएम मोदी ने यहां चुनाव प्रचार किया, लेकिन वो एक सीट भी हार गये। यहां के लोगों ने सांप्रदायिक ताकतों को हराया है।
केरल की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा ने मातनूर निर्वाचन से जीत दर्ज करने के बाद कहा कि, केरल में एलडीएफ को विधानसभा चुनावों में शानदार जीत मिली। इसके लिये हम केरल की जनता का शुक्रिया करते हैं। एडीएफ की अप्रत्याशित वापसी और शानदार प्रदर्शन पर केरल कांग्रेस अध्यक्ष मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने आंशका ज़ाहिर करते हुए कहा कि, LDF सरकार अपने भ्रष्टचार के लिये जानी जाती है। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि इस चुनाव में मौजूदा मुख्यमंत्री को इतना बड़ा जनादेश (Big mandate) क्यों दिया गया। इस पर ध्यान देने की बेहद जरूरत है।