न्यूज डेस्क (श्री हर्षिणी सिंधू): जाने-माने पर्यावरणविद्, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और पद्मभूषण पुरस्कार विजेता सुंदरलाल बहुगुणा (Sunderlal Bahuguna) ने एम्स ऋषिकेश में दमतोड़ दिया। कोरोना संक्रमण के कारण उन्हें आठ मई को एम्स में भर्ती करवाया गया था। उनके निधन पर प्रधानमंत्री ने शोक संवेदनायें जताते हुए ट्विटकर लिखा कि, सुंदरलाल बहुगुणा के निधन से देश को भारी क्षति पहुँची है। प्रकृति और पर्यावरण को लेकर उनका सद्भाव हमेशा याद किया जाता रहेगा। मेरी हार्दिक शोक संवेदनायें उनके परिवार और अनुयायियों के साथ है। इसके साथ ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री समेत कई नामी गिरामी लोगों ने इस मौके पर शोक संदेश दिये।
सुन्दरलाल बहुगुणा ने अपना पूरा जीवन जल, जंगल, प्रकृति और पर्यावरण को समर्पित कर दिया। उन्हें लोग वृक्ष मित्र और पर्यावरण के गांघी के नाम से भी जानते थे। उनके अप्रतिम निस्वार्थ भाव को देखते हुए साल 1986 में जमनालाल बज़ाज पुरस्कार और साल 2009 में पद्मविभूषण दिया गया। इसके साथ ही उन्होनें चिपकों आंदोलन की बुनियाद रखी, जिसके किस्से पूरी दुनिया में मशहूर हुये। सक्रिय राजनीति (Active politics) में आने के बाद पत्नी के कहने पर उन्होनें कांग्रेस पार्टी छोड़ दी।
साल 1956 में राजनीतिक जीवन से संन्यास लेने के बाद उन्होनें शराब के खिलाफ मोर्चा खोला। साल 1980 में उन्होनें हिमालयी गांवों की 5000 हज़ार किलोमीटर लंबी यात्रा की और लोगों की पर्यावरण संरक्षण (Environment protection) के प्रति जागरूक किया। इंदिरा गांधी से मिलकर 15 सालों तक पेड़ ना कटने का आग्रह किया, जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मान लिया। टिहरी बांध के खिलाफ 84 दिनों तक उन्होनें आंदोलन की बागडोर संभाली। हिमालय की गोदी में बनने वाले होटल, रिजॉर्ट और लग्जरी टूरिज़्म का उन्होनें लंबे समय तक विरोध किया। उनके जाने से पूरे देश में शोक है। खासतौर से उत्तराखंडवासियों में।