एजेंसियां/न्यूज डेस्क (प्रियवंदा गोप): आज (21 मई 2021) चीन (China) ने अधिकारिक श्वेत पत्र जारी करते हुए कहा कि, बीजिंग दलाईलामा के उत्तराधिकारी को आधिकारिक मंजूरी देगा। इसके लिये उनके शर्त थोपी और कहा कि, अगला दलाईलामा बीजिंग के हुक्मरानों के निर्देशों पर चुना जायेगा तब ही उसे हर तरह की प्रशासनिक छूट, मदद और मान्यता मिलेगी। अगर मौजूदा दलाईलामा खुद से अपना उत्तराधिकारी चुनते है या उनकी किसी अनुयायी को इस पद के लिये नॉमिनेट किया जाता है तो चीनी सरकार उसे किसी भी तरह की मान्यता नहीं देगी।
चीन ने जारी किये गये अपने दस्तावेज़ में माना कि, भगवान बुद्ध से जुड़े जीवित बोधित्सव (Living bodhitsava) और उनके पुर्नजन्म को किंग राजवंश (1644-1911) के शासन काल से ही सरकारी आधिकारिक मान्यता देने का प्रावधान रहा है। जिसके बाद ये विषय क्षेत्र राजवंश के बाद अब मौजूदा कम्युनिस्ट सरकार (CPC) के पास आ गया है। इसके साथ ही दस्तावेज़ों में दावा किया गया है कि पुरातन काल से लेकर अब तक तिब्बत चीन संप्रभुता का हिस्सा है। ये इलाका चीन का अभिन्न अंग है।
बीजिंग द्वारा जारी किये गये श्वेत पत्र ‘1951 से तिब्बत : स्वतंत्रता, विकास और समृद्धि’ में कहा गया कि, साल 1793 में गोरखा अतिक्रमणकारियों को किंग सरकार ने खदेड़ कर बाहर किया। जिसके बाद संप्रभु इलाके तिब्बत में दलाई लामा के पद पर अवतरित हुये उत्तराधिकारी को गद्दी सौंपने की व्यवस्था लागू की गयी। जिसका विवरण किंग वंश द्वारा तिब्बत के लिये जारी शाही अध्यादेश (Royal ordinance) में मिलता है।