न्यूज डेस्क (प्रियंवदा गोप): आज तीनों केन्द्रीय कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन (Kisan Andolan) को छह महीने पूरे हो चुके है। ऐसे में राजधानी दिल्ली के गाज़ीपुर बॉर्डर पर बैठे किसानों ने बुद्ध पूर्णिमा मनाने के साथ काले झंडे लगाकर केंद्र सरकार के सामने अपना विरोध ज़ाहिर किया। इस बीच लखनऊ में राष्ट्रीय अन्नदाता यूनियन के राष्ट्रीय संयोजक रामनिवास यादव की अगुवाई में धिक्कार दिवस मनाया जा रहा है। जिसके चलते राष्ट्रीय अन्नदाता यूनियन के कई सदस्यों ने राकेश टिकैत और कथित किसान यूनियनों के विरोध प्रदर्शन को लेकर रोष जाहिर किया।
इस दौरान रामनिवास यादव ने मीडिया को बताया कि, छह महीने से चल रहा आंदोलन नकली किसानों का आंदोलन है। असली किसान आज भी अपने खेतों में अपना काम कर रहे हैं तथा फसल उगा रहे हैं। जिसकी वजह से देश में पिछले बार के मुकाबले इस बार ज़्यादा फ़सल इस बार हुई है। नकली किसानों द्वारा बॉर्डर पर और उसके आसपास के इलाकों में अराजकता (Anarchy) फैलाई जा रही है। बलात्कार हत्याएं की जा रही हैं और सरकार विरोधी काम किये जा रहे हैं।
गाज़ीपुर बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के बारे में रामनिवास यादव ने कहा कि, इस दिन को हर किसान और देशवासी धिक्कार दिवस के रूप में हमेशा याद रखेंगे कि कैसे नक़ली किसान विपक्षी राजनीतिक पार्टियों के पैसे पर मटर बिरयानी और पनीर की दावत उड़ा रहे हैं। सरकार और किसान विरोधी काम कर रहे हैं। जिससे देश का किसान बदनाम हो रहा है। इन किसानों के विरोध और देश विरोधी कामों से पूरी दुनिया में भारत का नाम बदनाम हो रहा है।
कथित किसान आंदोलन और मौजूदा कोरोना महामारी के हालातों पर उन्होनें कहा कि, आज जब कोरोना जैसी महामारी से देश बुरी तरह जूझ रहा है। तब किसान आंदोलन एवं काला दिवस के नाम पर इस जंग में अड़चन डालने का काम कर रहें है। ऐसे में देश की जनता और किसान इन्हें कभी माफ़ नहीं करेंगे। दूसरी ओर असली किसान सरकार द्वारा जारी नीतियों का फायदा लेकर अपनी खेती कर रहा है। जिससे खेतों में फसल लहलहा रही है लेकिन दलाल परेशान हैं।
इसी क्रम में राष्ट्रीय अन्नदाता यूनियन के कई सदस्यों ने राष्ट्रीय संयोजक रामनिवास यादव और महासचिव अवधेश प्रताप सिंह की अगुवाई में लखनऊ के गोमती नगर इलाके में विरोध प्रदर्शन जाहिर करते हुए धरना दिया। जहां उन्हें किसानों समेत स्थानीय लोगों का साथ मिला। अवधेश प्रताप सिंह ने मीडिया को बताया कि फर्जी किसानों के खिलाफ लड़ाई सड़क से संसद तक जारी रहेगी। कुछ कथित संगठन और नकली किसान पूरे कृषक समाज (Farming community) को बदनाम करने का काम कर रहे है। जो कि किसी भी तरह स्वीकार्य नहीं है।