न्यूज डेस्क (वृंदा प्रियदर्शिनी): इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के उत्तराखंड डिवीजन ने योग गुरु रामदेव को एलोपैथी डॉक्टरों और दवाओं पर उनके हालिया बयानों के लिए 1,000 करोड़ रुपये का मानहानि नोटिस (Defamation Notice) भेजा। नोटिस में आईएमए ने कहा कि अगर योग गुरु अपने दिये गये बयानों का विरोध करते हुए वीडियो पोस्ट नहीं करते हैं और अगले 15 दिनों के भीतर लिखित माफी मांगते हैं, तो उनसे 1,000 करोड़ रुपये की मांग की जायेगी।
IMA (उत्तराखंड) के सचिव अजय खन्ना की ओर से उनके वकील नीरज पांडे द्वारा दिये गये छह पन्नों के नोटिस में रामदेव के बयान को एलोपैथी की छवि और प्रतिष्ठा के लिये खतरनाक बताया। गौरतलब है कि 2,000 डॉक्टर इस एसोसिएशन के मेम्बर है। डॉ अजय खन्ना ने कहा कि बाबा रामदेव के पास मेडिकल की ठोस जानकारी नहीं है। वो सिर्फ बयानबाजी में लगे हुए है। उन्होंने कहा, ‘मैं बाबा रामदेव से आमने-सामने की परिचर्चा करने के लिए तैयार हूं। रामदेव को एलोपैथी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, बावजूद इसके वो एलोपैथी और इससे जुड़े डॉक्टरों के खिलाफ लगातार बयानबाजी कर रहे हैं।’
IMA उत्तराखंड इकाई के सचिव ने कहा कि रामदेव की बयानबाजी ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में दिन-रात काम करने वाले डॉक्टरों का मनोबल गिराया है। रामदेव अपनी दवाएं बेचने के लिए लगातार झूठ बोल रहे हैं। योग गुरु के बयानों को भारतीय दंड संहिता की धारा 499 के तहत “आपराधिक कृत्य” बताते हुए, बाबा रामदेव को नोटिस भेजा गया। जिसमें उनके द्वारा सार्वजनिक माफीनामा (Public apology) जारी करने की बात लिखी गयी है। अगर वो ऐसा करने में नाकाम रहे तो उन्हें आईएमए के हर सदस्य को 50 लाख रुपये की दर से भुगतान करना होगा। जिसकी लागत 1,000 करोड़ रुपये बनती है।
इसके साथ ही योग गुरु बाबा रामदेव को सभी प्लेटफार्मों से “कोरोनिल किट” के “भ्रामक” विज्ञापन वापस लेने के लिए कहा गय है। जिसके बारे में पतंजलि दवा करता है कि, वो कोरोना की कारगर दवा है। इन सभी कामों में नाकाम रहने पर बाबा के खिलाफ आईएमए द्वारा प्राथमिकी और आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा। बीते रविवार (23 मई 2021) को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कड़े लहज़े में खत लिखा। जिसके बाद बाबा रामदेव ने एलोपैथिक चिकित्सा पर अपना बयान वापस ले लिया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने अपने खत में उनके बयानों को “अनुचित” बताया था।
इसके साथ ही बाबा रामदेव ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को खत में लिखा। जिसमें उन्होनें कहा कि, हम आधुनिक चिकित्सा विज्ञान और एलोपैथी का विरोध नहीं करते हैं। हम मानते हैं कि एलोपैथी ने सर्जरी और जीवन रक्षक प्रणाली में बहुत प्रगति दिखाई है और मानवता की सेवा की है। मुझे खेद है कि अगर इससे किसी की भावना आहत हुई है। मैनें सिर्फ व्हाट्सएप मैसेज पढ़ा था। जो कि वायरल हो गया।
आईएमए ने शनिवार को योग गुरु को एलोपैथी के खिलाफ उनके कथित बयानों और वैज्ञानिक चिकित्सा को “बदनाम” करने के लिए कानूनी नोटिस भेजा था। हालांकि पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट (Patanjali Yogpeeth Trust) ने आईएमए के इन आरोपों से इनकार किया है कि रामदेव ने एलोपैथी के खिलाफ बिना जाने समझे बयान देकर लोगों को गुमराह किया है और वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति को बदनाम किया है। हरिद्वार स्थित पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट के बयान के मुताबिक योग गुरु रामदेव सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में व्हाट्सएप मैसेज संदेश पढ़ रहे थे।