एंटरटेनमेंट डेस्क (यामिनी गजपति): दिग्गज बॉलीवुड अभिनेत्री नीना गुप्ता (Neena Gupta) ने हाल में आयी अपनी ऑटोबॉयोग्राफी “सच कहूं तो” में अपने ज़िन्दगी के बारे में काफी ईमानदारी के साथ बेबाक अन्दाज़ में लिखा है। जो कि उनकी हाईली प्रोफेशनल लाइफ और पर्सनल लाइफ के बारे में बताती है।
1982 में फिल्म “गांधी” से अपने करियर की शुरुआत करते हुए, नीना ने “जाने भी दो यारो”, “खलनायक”, “मंडी” जैसी कई फिल्मों में अपनी अदाकारी के जौहर बिखेरे। हाल ही में आयी फिल्म “बधाई हो” में उनकी परफॉर्मेंस को फैंस ने जमकर सराहा।
किताब में नीना ने अपनी ज़िन्दगी के कई दिलचस्प और चौंकाने वाले किस्सों का जिक्र किया है। उनमें से एक किस्सा संजय दत्त और माधुरी दीक्षित अभिनीत सुभाष घई के निर्देशन में बनी फिल्म “खल नायक” (1993) के गाने “चोली के पीछे क्या है” की तैयारियों से जुड़ा हुआ है।
नीना ने लिखा, “जब मैंने पहली बार गाना सुना, तो मुझे पता था कि ये काफी आकर्षक है। लेकिन जब सुभाष घई ने मुझे बताया कि गाने में मेरी भूमिका क्या होगी तो मेरा इन्ट्रेस खत्म हो गया। मुझे ये बात ज़रा सी भी पसंद नहीं आयी कि मेरे हिस्से का गाना मेरी दोस्त इला अरुण को मिला। जिनके साथ मैंने कई फिल्मों में काम किया था, लेकिन मैं नहीं कर पायी।
नीना ने आगे लिखा कि सुभाष घई ने उन्हे किसी तरह ये गाना करने के लिये मनाया तो वो इस गाने का हिस्सा बनने के लिये तैयार हो गयी। लेकिन सुभाष नीना तैयार होने के बाद उनके फाइनल लुक से ज़्यादा खुश नहीं थे। मुझे एक आदिवासी गुजराती ड्रेस (Tribal Gujarati Dress) पहनायी और लुक अप्रूवल के लिये सुभाष घई के पास भेजा। मुझे देखकर वो चिल्लाये 'नहीं! नहीं! नहीं! नहीं!' 'कुछ भरो।'
मुझे बेहद शर्मिंदगी महसूस हुई। उनका इशारा मेरी चोली की ओर था। वो ये कहना चाह रहे थे कि इसे भरने की जरूरत है। इसे साथ ही मुझे पता लग गयी कि सेट पर कुछ पर्सनल नहीं है।
नीना ने आगे लिखा कि, सुभाष मेरी चोली पर कुछ बड़ा देखने की कल्पना कर रहे थे। मैंने उस दिन शूटिंग नहीं की। अगले दिन मुझे उनके सामने एक अलग ड्रेस में पेश किया गया। मुझे भारी गद्देदार ब्रा (heavy padded bra) पहननी पड़ी। मेरे उस लुक से सुभाष कभी संतुष्ट नज़र आये। सुभाष घई जो चाहते थे उसके लेकर वो काफी संजीदा रहते है। यही वजह थी कि वो इतने अच्छे निर्देशक थे।
रैंडम हाउस इंडिया द्वारा प्रकाशित, "सच कहूं तो" नीना गुप्ता के जीवन के कई आयामों और मील के पत्थर को छूती है। जिसमें खासतौर से उनकी अनकन्वेंशनल प्रेग्नेंसी (unconventional pregnancy), सिंगल पेरेंटहुड से लेकर बॉलीवुड में कामयाब वापसी तक शामिल है। अपनी आत्मकथा में नीना गुप्ता ने कास्टिंग काउच, बॉलीवुड इंडस्ट्री में पॉलिटिक्स जैसे मुद्दों को भी उठाया है। साथ ही उन्होनें ये भी बताया कि एक युवा अभिनेता को गॉडफादर या गाइड के बिना कैसे हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में सर्रवाइव करना पड़ता है।