न्यूज डेस्क (समरजीत अधिकारी): कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति कौशिक चंदा ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के मामले की सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें नंदीग्राम के चुनाव परिणामों को चुनौती दी गई थी, जहां से ममता 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में भाजपा के सुवेंदु अधिकारी से हार गयी थीं।
हालांकि जस्टिस चंदा ने सीएम बनर्जी पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। कथित तौर पर ये जुर्माना उस तरीके के लिये लगाया गया है, जिस तरह से ममता ने इस केस से अलग होने के लिये आवेदन किया गया था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने “हितों के टकराव” का मामला बताते हुए न्यायमूर्ति चंदा को हटाने की मांग की है।
जस्टिस चंदा ने कहा, ‘मैं खुद को ये समझाने में नाकाम हूं कि यहां हितों का टकराव (Conflicts Of Interest) है। आवेदक ने एक न्यायाधीश की सत्यनिष्ठा के बारे में बेहद गंभीर विचार ज़ाहिर किये है। मुझे इस मामले को उठाने में भी कोई हिचक नहीं है। मुख्य न्यायाधीश द्वारा मुझे सौंपे गये मामले की सुनवाई करना मेरा संवैधानिक कर्तव्य है। हालांकि मैंने खुद को इस केस से अलग करने का फैसला किया है।”
सीएम ममता बनर्जी ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को 16 जून को एक खत लिखा। खत में सीएम ममता ने केस में सुनवाई के लिये दूसरा जज असाइन करने की दरख्वास्त की थी। ममता ने आरोप लगाया था कि मामले में जस्टिस चंदा के जज होने के कारण "पूर्वाग्रह की उचित आशंका" है। साथ ही खत में न्यायमूर्ति चंदा के अतीत को भाजपा से जोड़ा गया था।
सीएम ममता बनर्जी ने अपनी आपत्ति का एक और कारण बताया। जिसके तहत अप्रैल में कलकत्ता उच्च न्यायालय में स्थायी न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति चंदा के नाम पर आखिरी मोहर लगने पर उन्होनें सख़्त ऐतराज (Strong Objection) दर्ज करवाया था। जिसके बारे में उनका दावा है कि ये पूर्वाग्रह का एक संभावित कारण बन सकता है। न्यायमूर्ति चंदा ने सीएम बनर्जी पर जुर्माना लगाने और मामले से बाहर निकलने का ऐलान करने से पहले कहा कि पश्चिम बंगाल द्वारा एक न्यायाधीश को बदनाम करने के लिए ये पूर्वनियोजित साज़िश है।