त्रेतायुग के अंत में भगवान् कृष्ण ने जब देह त्यागी तो उनका अंतिम संस्कार किया गया, उनका सारा शरीर तो पांच तत्त्व में मिल गया लेकिन उनका हृदय बिलकुल सामान्य एक जिन्दा आदमी की तरह धड़क रहा था और वो बिलकुल सुरक्षित था, उनका हृदय आज तक सुरक्षित है जो भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) की काष्ठ के विग्रह के अंदर रहता है और उसी तरह धड़कता है, ये बात बहुत कम लोगों को पता है ।।
हर 12 साल में महाप्रभु की प्रतिमा को बदला जाता है, उस समय पूरे पुरी शहर में ब्लैकआउट किया जाता है यानि पूरे शहर की लाइट बंद की जाती है। लाइट बंद होने के बाद मंदिर परिसर को पैरामिलिट्री फोर्सेस (Paramilitary Forces) चारों तरफ से घेर लेती है। उस समय कोई भी मंदिर में नहीं जा सकता।
मंदिर के अंदर घना अंधेरा रहता है…पुजारी की आँखों मे पट्टी बंधी होती है…पुजारी के हाथ मे दस्ताने होते है..वो पुरानी मूर्ति से “ब्रह्म पदार्थ” निकालता है और नई मूर्ति में डाल देता है…ये ब्रह्म पदार्थ क्या है आजतक किसी को नहीं पता…इसे आजतक किसी ने नहीं देखा. ..हज़ारों सालो से ये एक मूर्ति से दूसरी मूर्ति में ट्रांसफर किया जा रहा है।
ये एक अलौकिक पदार्थ (Supernatural Substance) है। जिसको छूने मात्र से किसी इंसान के जिस्म के चिथड़े उड़ जाये… इस ब्रह्म पदार्थ का संबंध भगवान श्री कृष्ण से है…मगर ये क्या है, कोई नही जानता…ये पूरी प्रक्रिया हर 12 साल में एक बार होती है…उस समय सुरक्षा बहुत ज्यादा होती है।
मगर आजतक कोई भी पुजारी ये नहीं बता पाया कि महाप्रभु जगन्नाथ की मूर्ति में आखिर ऐसा क्या है ..???
कुछ पुजारियों का कहना है कि जब हमने उसे हाथ मे लिया तो खरगोश जैसा उछल रहा था…आंखों में पट्टी थी…हाथ मे दस्ताने थे तो हम सिर्फ इतना ही महसूस कर पाये।
भगवान जगन्नाथ मंदिर के सिंहद्वार से पहला कदम अंदर रखते ही समुद्र की लहरों की आवाज अंदर सुनाई नहीं देती, जबकि आश्चर्य में डाल देने वाली बात ये है कि जैसे ही आप मंदिर से एक कदम बाहर रखेंगे, वैसे ही समुद्र की आवाज सुनाई देंगी.!!
अक्सर लोगों ने ज्यादातर मंदिरों के शिखर पर पक्षी बैठे-उड़ते देखे होंगे, लेकिन जगन्नाथ मंदिर के ऊपर से कोई पक्षी नहीं गुजरता.!!
मंदिर के गर्भगृह के ठीक ऊपर लगी ध्वज़ा हमेशा हवा की उल्टी दिशा में लहराती है.!!
दिन में किसी भी समय भगवान जगन्नाथ मंदिर के मुख्य शिखर की परछाई नहीं बनती.!!
भगवान जगन्नाथ मंदिर के 45 मंजिला शिखर पर स्थित झंडे को रोज बदला जाता है, ऐसी मान्यता है कि अगर एक दिन भी झंडा नहीं बदला गया तो मंदिर 18 सालों के लिये बंद हो जायेगा.!!
इसी तरह भगवान जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र (Sudarshan Chakra) भी है, जो हर दिशा से देखने पर ऐसे लगता है कि उसकी बनावट सीधे देखने वाले की तरफ बनी हुई हो।
मंदिर की रसोई में प्रसाद पकाने के लिये मिट्टी के 7 बर्तन एक-दूसरे के ऊपर रखे जाते हैं, जिसे लकड़ी की आग से ही पकाया जाता है, इस दौरान सबसे ऊपर रखे बर्तन का पकवान पहले पकता है।
भगवान जगन्नाथ मंदिर में हर दिन बनने वाला प्रसाद भक्तों के लिये कभी कम नहीं पड़ता, लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि जैसे ही मंदिर के पट बंद होते हैं वैसे ही प्रसाद भी खत्म हो जाता है।