न्यूज डेस्क (निकुंजा वत्स): ब्राजील में शोधकर्ताओं की एक टीम के मुताबिक SARS-CoV-2 वायरस न सिर्फ हमारे शरीर में लार ग्रंथियों का उत्पादन करने वाले ऊतकों को संक्रमित कर सकता है, बल्कि लार की मात्रा को भी बढ़ा सकता है। जहां ये प्रतिकृति (रेप्लिका) बनाता है। शोधकर्ताओं के अनुसार ये इसकी संक्रामक क्षमता को बढ़ा सकता है।
अध्ययन के नतीज़े पहली बार जर्नल ऑफ पैथोलॉजी में एक आर्टिकल में प्रकाशित हुए। ये समझने में मदद करता है कि लार में COVID-19 वायरस प्रचुर मात्रा में क्यों पाया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप आरटी-पीसीआर परीक्षण जैसी लार-आधारित नैदानिक परीक्षण विधियों (डायग्नोस टेस्टिंग मैथ्ड) का विकास हुआ।
यूएसपी के डेंटल स्कूल में डॉक्टरेट के उम्मीदवार ब्रूनो फर्नांडीस मटक के मुताबिक "ये लार ग्रंथियों में संक्रमण दोहराने और श्वसन तंत्र पर संक्रमण हमले पर आधारित वायरस की क्षमता की पहली रिपोर्ट है। अब तक यहीं माना जाता था कि सिर्फ वायरस ज्यादा संक्रामक और बीमारी के वाहक होते है, जैसे त्वचा पर दाद के चकत्तों का बनना। ये खोज ये समझाने में मदद करती है कि SARS-CoV-2 इतना संक्रामक क्यों है?
अन्य श्वसन विषाणुओं की तुलना में कोविड-19 वायरस की बढ़ी हुई संक्रामकता ने इस सोच को बल दिया कि ये नाक और फेफड़ों के स्राव (Lung secretions) संपर्क में आये बिना लार में मौजूद हो सकता है, लार ग्रंथि कोशिकाओं में अपनी प्रतिकृतियां तैयार करता है। इस अध्ययन में 24 रोगियों के ऊतक (टिश्यू) के नमूने देखे गये, जिन्होंने कोविड -19 के कारण दम तोड़ दिया। इसमें पाया गया कि दो-तिहाई नमूनों में न सिर्फ वायरस की उपस्थिति दिखाई दी, बल्कि कोशिकाओं में इसकी प्रतिकृति भी मौजूद थी।
ब्रूनो फर्नांडीस मटक ने कहा कि- हमने देखा कि लार ग्रंथि कोशिकाओं में कई वायरस क्लस्टरिंग (गुच्छा बनाना) करते हैं, जिससे पता चलता है कि वो वहां काफी तेजी के खुद की प्रतिकृतियां तैयार कर रहे थे। वे इन कोशिकाओं पूरी तरह से सक्रिय थे। साथ अपने अनुवांशिक गुणों (Genetic Properties) का पालन करते हुए तेजी से फैल रहे थे।