न्यूज डेस्क (प्रियवंदा गोप): महीनों के डेटा क्लेक्शन पर बेस्ड एक नयी स्टडी में पाया गया है कि कोरोना का डेल्टा वर्जन (Delta version) न सिर्फ काफी तेज़ रफ्तार से फैलता है, बल्कि इंसानी शरीर में बहुत तेज़ी से अपनी पैठ बनाते हुए बढ़ता भी है। कोरोना के पहले स्ट्रेन के मुकाबले ये वर्जन 225 प्रतिशत रफ्तार के साथ फैलता है। डेल्टा संस्करण मौजूदा वक़्त में ज़्यादातर मुल्कों में अपना प्रकोप दिखाते हुए फैल रहा है।
बुधवार 7 जुलाई 2021 को प्रकाशित ये नया ये समझने की मदद करता है कि डेल्टा वर्जन वैश्विक स्तर पर इतना कहर क्यों बरपा रहा है। ग्वांगडोंग प्रोविंशियल (Guangdong provincial) सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के रिसर्चरों ने पाया कि संक्रमित लोगों की श्वसन प्रणाली में ये वैरिएंट बहुत तेज गति से बढ़ता है।
डेल्टा संस्करण बहुत ज़्यादा वायरल लोड को दोहराता है। अध्ययन में पाया गया कि डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित लोगों में मूल COVID-19 स्ट्रेन के संक्रमण के मुकाबले लगभग 1,000 गुना ज़्यादा वायरल लोड था। डेल्टा संस्करण संक्रमण से पीड़ित शख़्स में कोरोना वायरस के मूल स्ट्रेन (original strain) की तुलना में काफी ज़्यादा संक्रामकता है। साथ ही वायरल लोड लगभग 6 दिनों के बाद मूल वायरस के साथ डिक्टेक्टबल हो पाया। डेल्टा वर्जन सिर्फ 4 दिनों के भीतर ही पकड़ा जा सकता है, क्योंकि इसके वायरल लोड की दर काफी ज़्यादा है।
Delta version को लेकर निकले ये नतीज़े
वैज्ञानिकों ने चीन में कोविड-19 के पहले डेल्टा संस्करण के प्रकोप से पीड़ित मरीज़ों का विश्लेषण किया और पाया कि, डेल्टा SARS-CoV-2 वैरिएंट के वायरोलॉजिकल प्रोफाइल को चिह्नित करने, महामारी विज्ञान, आनुवंशिक और सिरोलॉजिकल डेटा की जांच और वायरस के उभरते हुए नये वर्जन के खिलाफ इंटरवेशन स्ट्रैट्रजी को बेहतर बनाने की जरूरत है।
डेल्टा संस्करण के असर और संक्रामकता को जानने के लिये 62 रोगियों के वायरल लोड की तुलना उन 63 रोगियों से की गयी जो कि 2020 में पहले वाले वायरस स्ट्रेन की चपेट में आये थे। वैज्ञानिकों के मुताबिक नतीज़े बताते हैं कि डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित लोग बहुत पहले स्प्रेडर्स बन जाते हैं। डेल्टा इंफेक्शन में वायरल लोड पहले के 19A/19B स्ट्रेन संक्रमणों की तुलना में 1000 गुना ज़्यादा था, जिस दिन वायरस का पहली बार पता चला था।