न्यूज डेस्क (समरजीत अधिकारी): उत्तर प्रदेश सरकार 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर जनसंख्या नियंत्रण कानून (Population Control Draft For UP) ला सकती है। नया कानून के पारित होने के बाद राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित कल्याणकारी योजनाओं का फायदा सिर्फ दो बच्चों वाले लोगों तक ही सीमित रहेगा। उत्तर प्रदेश के राज्य विधि आयोग ने 19 जुलाई तक मसौदे पर आम जनता की राय मांगी है।
आयोग पहले जनता की राय पर विचार करेगा और फिर ‘यूपी जनसंख्या विधेयक’ राज्य सरकार को सौंपेगा। मसौदे के मुताबिक राज्य में सीमित संसाधनों की वजह से जनसंख्या को नियंत्रित और स्थिर करना बेहद जरूरी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनसंख्या नियंत्रण के लिये समुदाय केंद्रित दृष्टिकोण (Community Centric Approach) का आह्वान किया है ताकि लोगों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें और राज्य का समुचित विकास हो सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि “गरीबी और निरक्षरता जनसंख्या बढ़ने की अहम वजह हैं। कुछ समुदायों में जनसंख्या के बारे में जागरूकता का भी अभाव है और इसलिए हमें समुदाय-केंद्रित जागरूकता प्रयासों की जरूरत है।”
उत्तर प्रदेश के एक आला अधिकारी के मुताबिक, "वर्तमान में राज्य की कुल प्रजनन दर 2.7 प्रतिशत है जबकि आदर्श रूप से ये 2.1 प्रतिशत से कम होनी चाहिए।"
अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने कहा कि, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)-04 समेत कई रिपोर्टों का अध्ययन करने के बाद राज्य की जनसंख्या नीति तैयार की जा रही है। खासतौर से NFHS-05 को जल्द ही जारी किया जाना है। इसलिए दो चरणों 2026 और 2030 के लिए लक्ष्य निर्धारित किये जायेगें।
दो बच्चे वाले सरकारी कर्मचारियों के लिये मसौदे के तहत व्यवस्था
जो लोक सेवक (Public Servant) खुद या पति/पत्नी पर स्वैच्छिक नसबंदी ऑपरेशन (Voluntary Sterilization Operation) करवाकर दो-बच्चे के मानदंड को अपनाते हैं, उन्हें निम्नलिखित प्रोत्साहन दिए जायेगें
1. पूरी सेवा के दौरान दो अतिरिक्त वेतन वृद्धि
2. आवास से प्लॉट, हाउस साइट या निर्मित घर की खरीद के लिये सब्सिडी बोर्ड या विकास प्राधिकरण जैसा कि निर्धारित किया जा सकता है।
3. मामूली ब्याज दरों पर घर बनाने या खरीदने के लिए सॉफ्ट लोन, जैसा कि निर्धारित किया जा सकता है।
4. पानी, बिजली, पानी, गृह कर जैसी उपयोगिताओं के लिए शुल्क में छूट, जैसा कि निर्धारित किया जा सकता है।
5. मातृत्व या जैसा भी मामला हो, पूरे वेतन और भत्तों के साथ 12 महीने का पितृत्व अवकाश।
6. राष्ट्रीय पेंशन के तहत नियोक्ता के योगदान कोष में तीन प्रतिशत की वृद्धि
7. जीवनसाथी को मुफ्त स्वास्थ्य देखभाल सुविधा और बीमा कवरेज।
एक बच्चे के मानदंड का पालन करने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए:
1. चार अतिरिक्त वेतन वृद्धि
2. बीस वर्ष की आयु प्राप्त करने तक एकल बच्चे को मुफ्त स्वास्थ्य देखभाल सुविधा और बीमा कवरेज
3. भारतीय प्रबंधन संस्थान, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान आदि सहित, लेकिन इन्हीं तक सीमित नहीं, सभी शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में एकल बच्चे को वरीयता।
4. स्नातक स्तर तक मुफ्त शिक्षा
5. बालिका के मामले में उच्च अध्ययन के लिए छात्रवृत्ति
6. सरकारी नौकरियों में एकल बच्चे को वरीयता
दो बच्चे/एकल बच्चे के मानदंडों का पालन करने वाली आम जनता के लिए प्रोत्साहन का विस्तार
ये लोक सेवक को छोड़कर सभी पर लागू होता है, जो स्वयं या अपने जीवनसाथी पर स्वैच्छिक नसबंदी ऑपरेशन करवाकर दो-बच्चे के मानदंड को अपनाता है। उन्हें प्रोत्साहनों में सॉफ्ट हाउसिंग लोन, पानी, बिजली और हाउस टैक्स जैसी अन्य चीजों के लिये शुल्क में छूट शामिल है। दो बच्चों के मानदंड का पालन करने वाले सरकारी कर्मचारियों को भी पूरी सेवा के दौरान दो अतिरिक्त वेतन वृद्धि (Additional Increment), पूरे वेतन और भत्ते के साथ 12 महीने का मातृत्व या पितृत्व अवकाश और जीवनसाथी को मुफ्त स्वास्थ्य देखभाल सुविधा और बीमा कवरेज मिलेगा।
गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले दम्पतियों को विशेष लाभ
गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले दम्पति, जिसका सिर्फ एक बच्चा है और अगर ऐसे जोड़े स्वैच्छिक नसबंदी ऑपरेशन करवायेगें तो उत्तर प्रदेश सरकार उन्हें एकमुश्त 80,000 हजार रुपये देगी। चाहे वो इकलौता बच्चा लड़की हो या लड़का।