सूर्य (Surya) को जल चढ़ाने के लिए सदैव तांबे के लोटे का ही इस्तेमाल करना चाहिए। तांबा भी सूर्य की ही धातु है। जल में चावल, रोली, फूल पत्तियां आदि डाल लेने चाहिए। इसके बाद जल चढ़ाते समय गायत्री मंत्र का जाप करें। सूर्य को अर्घ्य देते समय पानी की जो धारा जमीन पर गिर रही है, उस धारा से सूर्य को देखना चाहिए, इससे आंखों की रोशनी तेज होती है।
अर्घ्य देने के बाद जमीन पर गिरे पानी से चरणामृत का पान करें तथा अपने मस्तक पर लगाये। साथ ही आप सूर्यदेव को अपनी मनोकामना बताये आपकी इच्छा अवश्य पूर्ण होगी। ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक ग्रह माना जाता है। आपकी सफलता से लेकर आपकी बदनामी तक हर जगह प्रसिद्धि से जुड़े मामलों में सूर्य का बहुत योगदान माना जाता है।
जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर चल रहा हो या अन्य किसी ग्रह की प्रतिकूलता (Adversity Of The Planet) चल रही हो अथवा कोई सरकारी कामकाज अटका हुआ हो, कार्यस्थल पर अधिकारियों से अनबन चल रही हो, या व्यापार सही नहीं चल रहा हो। उन सभी को प्रतिदिन सूर्य को जल चढ़ाने से तुरंत लाभ मिलता है।
इसके अतिरिक्त जिन्हें जेल जाने या नौकरी छूटने का डर हो उन्हें भी सूर्य आराधना तुरंत लाभ देती है। सूर्य अदित्यहृदय स्तोत्र का पाठ अत्यधिक चमत्कारी और प्रभावशाली हैं। शत्रुदमन, रोग शमन, और भय से मुक्त करता है। पिता के विरोध में कोई कार्य न करें तथा माता-पिता की उचित सेवा करें।
मंत्र-ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात।
सूर्योदय समय सूर्य भगवान को अर्घ्य देने से समस्त पाप नष्ट हो जाते है। दरिद्रता (poverty) और अन्य नकारात्मकता समाप्त हो जाती है।