न्यूज डेस्क (श्रीनिधि घोष): एक नए अध्ययन के मुताबिक एस्पिरिन (Aspirin) निमोनिया के रोगियों में इस्केमिक स्ट्रोक और मायोकार्डियल इंफार्क्शन (एमआई – हार्ट अटैक) जैसी गंभीर हृदय संबंधी घटनाओं के जोखिम को कम कर सकती है। इस साल के यूरोपियन कांग्रेस ऑफ क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी एंड इंफेक्शियस डिजीज (ECCMID) में प्रस्तुत नया शोध, यूरोपियन रेस्पिरेटरी जर्नल (European Respiratory Journal) में इस बात का खुलासा हुआ।
निमोनिया के मामलों में गंभीर हृदय संबंधी जटिलताएं बेहद आम बात आम हैं। निमोनिया के दीर्घकालिक प्रभाव (long term effects) मृत्यु दर को बढ़ाते है। ब्रिटेन के ब्रिस्टल विश्वविद्यालय में डॉ फर्गस हैमिल्टन और उनके सहयोगियों द्वारा किये गये इस अध्ययन में पाया गया कि- क्या एस्पिरिन इस्केमिक स्ट्रोक (रक्त वाहिकाओं के रुकावट के कारण होने वाला स्ट्रोक, लगभग 80 प्रतिशत स्ट्रोक के लिये जिम्मेदार) और दिल के दौरे के जोखिम को कम कर सकता है, और अगर प्राथमिक देखभाल दवा की निवारक भूमिका हो सकती है।
टीम ने 61 मिलियन से ज़्यादा 50 साल से अधिक आयु के सभी निमोनिया रोगियों के विवरण का विश्लेषण किया, जिनमें यूके के प्राथमिक देखभाल डेटाबेस, क्लिनिकल प्रैक्टिस रिसर्च डेटालिंक (CPRD) खासतौर से शामिल था। इस शोध के शुरूआती नतीज़ों में इस्केमिक स्ट्रोक और एमआई दोनों मेडिकल धारणाओं (Medical Concepts) को परिभाषित किया गया।
अध्ययन में शामिल किये जाने के योग्य होने के तौर पर पहचाने गये 48,743 रोगियों में से शोधकर्ताओं ने 8099 एस्पिरिन उपयोगकर्ताओं को पाया जो 8099 गैर-उपयोगकर्ताओं से मेल खाते थे, उनके सैंपल को भी टेस्टिंग वाले ग्रुप में रखा गया।
शोधकर्ताओं की टीम ने पाया कि- शुरूआती नतीज़ों में (स्ट्रोक और एमआई) एस्पिरिन इस्तेमाल करने वाले लोगों में जोखिम की दर 36 प्रतिशत कम थी। अध्ययन के आगे के नतीज़ों ने खुलासा किया कि एस्पिरिन उपयोगकर्ताओं में इस्केमिक स्ट्रोक और एमआई दर क्रमशः 30 प्रतिशत और 54 प्रतिशत कम होने के साथ दवा काफी प्रभावी दिखी।
शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि- ये अध्ययन सहायक सबूत प्रदान करता है कि एस्पिरिन का उपयोग प्राथमिक देखभाल सेटिंग में निमोनिया के बाद कम इस्किमिक घटनाओं से जुड़ा हुआ है। इस महत्वपूर्ण जटिलता को रोकने में ये दवा भविष्य में नैदानिक भूमिका (Clinical Role) में हो सकती है। ब्रिस्टल विश्वविद्यालय में वेलकम डॉक्टरल फेलो डॉ फर्गस हैमिल्टन ने कहा, "ये शोध असल में निमोनिया में एस्पिरिन के नैदानिक परीक्षण की नींव रखता है, जो कई देशों में मरीज़ों के अस्पताल में भर्ती होने का सबसे आम कारण बना हुआ है।"