Tulsi Mata: तुलसी माता की महिमा और उनका महात्मय

तुलसी माता (Tulsi Mata) की महिमा अंनत हैं, जो भी तुलसी का पौधा लगाता हैं, उसके पत्तों का सेवन करता हैं और नित्य माता तुलसी का दर्शन करता हैं वह भगवान के श्रीधाम को प्राप्त करता हैं। इसलिये सभी अपने अपने घरो में तुलसी जी का पौधा अवश्य लगाना चाहिये।

श्री तुलसी (Tulsi) जी का महात्मय:

तुलसि श्रीसखि शुभे पापहारिणि पुन्यदे।

नमस्ते नारदनुते नारायनमन: प्रिये॥

तुलस्यामृतजन्माऽसि सदा त्वं केशवप्रिये।

केशवार्थं विचिन्वनि वारदा भव शोभने॥

अर्थात:- “जो भी मनुष्य तुलसी लगाता है जब तक उसकी शाखा, प्रशाखा, बीज, पुष्प और सुन्दर दलों के साथ पृथ्वी पर बढ़ती रहती है, तब तक उनके वंश में जो-जो जन्म लेते है, वे दो हज़ार कल्पो तक श्री हरि के धाम में निवास करते है।”

सम्पूर्ण पत्रों और पुष्पो को भगवान् के चरणों में चढ़ाने से जो फल मिलता है, वो बस एकमात्र तुलसीदल के अर्पण से प्राप्त हो जाता है। सौ भार स्वर्ण और चार सौ भार रजत के दान का जो फल है, वही तुलसी वन के पालन से मनुष्य को प्राप्त हो जाता है।

जिसके घर में तुलसी का वन या बगीचा होता है, उसका वो घर तीर्थरूप है, वहाँ यमराज (Yamraj) के दूत कभी नही आते। रोपण, पालन, सिंचन, दर्शन और स्पर्श करने से तुलसी मनुष्य के मन, वाणी और शरीर द्वारा संचित समस्त पापों को दग्ध कर देती है।

शास्त्रों में तुलसी के लिये कुछ नियम बताये गये है, जिनका हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिए।

1. तुलसी जी के पत्तों को तोड़ने से पहले हमें तुलसी जी का वंदन करना चाहियें।

2. तुलसी जी के पत्तों को नाखूनों से कभी नहीं तोड़ना चाहिये, नाखूनों से तोड़ने पर पाप लगता है।

3. सांयकाल के बाद तुलसी जी को स्पर्श भी नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि सांयकाल के बाद तुलसी जी भगवान कृष्ण के साथ लीला करने जाती है।

4. रविवार को तुलसी पत्र नही तोड़ने चाहिए।

5. जो स्त्री तुलसी जी की पूजा करती है, उनका सौभाग्य अखण्ड रहता है, उनके घर सत्पुत्र का जन्म होता है।

6. एकादशी-द्वादशी के दिन तुलसी के पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिये।

7. तुलसी जी को केवल वृक्ष नहीं समझना चाहिये, तुलसी जी वृक्ष नही है, साक्षात् राधा जी का अवतार है।

8. तुलसी के पत्तों को कभी चबाना नहीं चाहिए।

श्री तुलसी (Tulsi) जी का चमत्कार:

श्री ठाकुर साहिब लदाणा(जयपुर) के पास एक मुसलमान सज्जन आये, उनके गले में “तुलसी की कंठी” बंधी थी।

ठाकुर साहिब ने पूछा कि:- आप मुसलमान होते हुए “तुलसी की कंठी” कैसे पहने हुए है।

उत्तर में उन्होंने कहा:- एक बार मैंने प्रत्यक्ष बड़ा चमत्कार देखा है, इसलिए तब से ये “तुलसी की माला” हमेशा रखता हूँ।

चमत्कार क्या देखा आप बताये सो आप से निवेदन करता हूँ:-

एक समय मैं पैदल ही किसी दूसरे गाँव जा रहा था, रास्ते में जंगल था। उस जंगल में एक पेड़ के नीचे बड़े आकार के दो मानव मिले। मैं डर गया मुझे डरा देख उन्होंने कहा डरो मत हम यमराज के दूत हैं। अभी थोड़ी देर में एक आदमी गाड़ी लेकर आयेगा उसके बैलों की जोती टूट जायेगी, फिर हम बैल रुपी काल बन कर उसको मार कर यमलोक ले जायेंगे।

ये सुन कर मैं वहाँ ठहर गया, थोड़ी देर बाद गाड़ीवान गाड़ी लेकर आया। गाड़ी टूट गई गाड़ीवान ठीक करने के लिये नीचे उतरा उसी समय बैल ने उसके पेट में इतने जोर से सींग मारा कि वो पेड़ों के झुरमट में जा गिरा और उसके प्राण छूट गये।

तब यम के दूत निराश हो कर मुझ से बोले कि:- हम तो खाली हाथ लौट रहे हैं अब हमारा इस पर अधिकार नहीं रहा, इसे भगवान के दूत ले गये जो आपको नज़र नहीं आये।

मैंने यमदूतों से कारण पूछा तब वे बोले कि:-उस झुरमट में तुलसी के पौधे थे, इसके शरीर से उनका स्पर्श हो गया, अब इसे यमलोक ले जाने का अधिकार नहीं रहा।

इसलिये मैंने जब स्वयं तुलसी का चमत्कार देखा, तभी से मैं तुलसी की माला पहनता हूँ। सभी भक्तों को तुलसी की माला जरूर धारण करनी चाहिए। जब केवल तुलसी जी का स्पर्श करने से उस व्यक्ति को यमराज के दूतों ने हाथ नहीं लगाया और ठाकुर जी के सेवक लेने आये, तो अगर हम सब भी तुलसी की माला धारण करेंगे तो ठाकुर जी कितनी कृपा (Compassion) करेंगे।

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