नई दिल्ली (यामिनी गजपति): द वायर (The Wire) में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक 40 से ज़्यादा भारतीय पत्रकारों को टारगेट कर पेगासस स्पाइवेयर की मदद से एक अज्ञात एजेंसी पत्रकारों की लगातार निगरानी कर रही है। इस बीच इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने पत्रकारों की निगरानी वाली रिपोर्टों का खंडन किया।
इस मुद्दे पर मंत्रालय ने कहा कि, पत्रकारों पर सरकारी निगरानी के आरोपों का कोई ठोस आधार या इससे जुड़ी सच्चाई नहीं है। पहले भी सरकार पर इसी तरह से पेगासस की मदद व्हाट्सएप पर निगरानी के आरोप लगते रहे है, उन रिपोर्टों का भी कोई तथ्यात्मक आधार नहीं था। ये समाचार रिपोर्ट भी भारतीय लोकतंत्र और उसके संस्थानों को बदनाम करने के मकसद से तैयार की गयी है, जिसे देखकर लगता है कि ये फिशिंग कैम्पेन (Phishing campaign) है।
गौरतलब है कि स्पाइवेयर ‘पेगासस’ इजरायल एनएसओ ग्रुप द्वारा विकसित किया गया है। इस स्पाइवेयर का इस्तेमाल एंड टू एंड इन्क्रिप्टेड मैसेज की लीक कर पढ़ने के लिये किया जाता है। दुनिया कई सरकारें इस हैक तकनीक की मदद से जासूसी करती है। द वायर की रिपोर्ट में कहा गया कि फोरेंसिक टेस्टिंग (Forensic Testing) ने भी पुष्टि की है कि कुछ (करीब 40) पत्रकारों के फोनों में पेगासस मैलवेयर ने कामयाब तरीके से घुसपैठ की है।
रिपोर्ट में बताया गया कि जिन पत्रकारों को निशाना बनाया गया वे हिंदुस्तान टाइम्स, द हिंदू, इंडिया टुडे, इंडियन एक्सप्रेस और नेटवर्क18 सहित देश के कुछ बड़े समाचार संगठनों के लिए काम करते हैं। उनमें से कई रक्षा, गृह मंत्रालय, चुनाव आयोग और कश्मीर से संबंधित मामलों को कवर करते हैं।
द वायर के मुताबिक उनके संस्थापक-संपादक सिद्धार्थ वरदराजन (Siddharth Varadarajan, Founder-Editor of The Wire) और एमके वेणु के फोन को भी पेगासस स्पाइवेयर ने निशाना बनाया। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन प्रमुख पत्रकारों की चैट इस स्पाइवेयर 'पेगासस' से लीक हुई उनमें शिशिर गुप्ता, प्रशांत झा, राहुल सिंह, संदीप उन्नीथन, मनोज गुप्ता, विजेता सिंह और जे गोपीकृष्णन का नाम खासतौर से शामिल हैं। रिपोर्ट आगे बताया गया कि लीक की गई सूची को पहले फ़्रांस स्थित फ़ॉरबिडन स्टोरीज़ और एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा एक्सेस किया गया था और बाद में 'पेगासस प्रोजेक्ट' नामक एक सहयोगी जांच के हिस्से के रूप में द वायर और दुनिया भर के 15 अन्य समाचार संगठनों के साथ इसे साझा किया गया।
रिपोर्ट के अनुसार 10 भारतीय पत्रकारों के फोन पर किये गये स्वतंत्र डिजिटल फोरेंसिक विश्लेषण, जिनके नंबर डेटा में मौजूद थे, उनके फोन में स्पाईवेयर ने घुसपैठ करने की कोशिश या फिर घुसपैठ कर चुका था। नवंबर 2019 में मैसेजिंग ऐप व्हाट्सएप ने खुलासा किया था कि भारत में पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को इजरायली स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल करने वाले ऑपरेटर लगातार टारगेट करके उनकी चैट, डेटा और कॉलिंग पर नज़रे बनाये हुए है।
तत्कालीन इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने उस दौरान संसद को सूचित किया था कि पेगासस स्पाइवेयर को इजरायल की एक कंपनी एनएसओ ग्रुप विकसित किया। जिसका इस्तेमाल कर दुनिया भर के 14,00 यूजर्स के मोबाइल में घुसपैठ की गयी, जिनमें 121 भारतीय शामिल है।
स्पाइवेयर ने पहली बार साल 2016 में वैश्विक सुर्खियां बटोरीं जब एक अरबी कार्यकर्ता ने अपने फोन पर रहस्यमय संदेश के बारे में जानकारी सार्वजनिक की थी।