नई दिल्ली (शौर्य यादव): केंद्रीय सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव आज पेगासस स्पाइवेयर (Pegasus spyware) विवाद पर राज्यसभा में विस्तृत बयान दर्ज करवाया। इस फोन टैपिंग और मोबाइल डिवाइस में सेंधमारी करने के मुद्दे को लेकर हाल ही में पेगासस स्पाइवेयर के निर्माता, केंद्र सरकार के साथ-साथ इजरायली फर्म एनएसओ ग्रुप सामने आयी कथित दोनों रिपोर्टों के आरोपों को निराधार बेबुनियादी बताया।
हालांकि कांग्रेस के नेतृत्व वाली विपक्षी पार्टियों ने मुद्दे को लेकर जमकर बवाल किया। मामले को गर्माने के लिये कांग्रेस पार्टी 22 जुलाई को एक बड़ा विरोध प्रदर्शन करने के लिए तैयार है। पार्टी कथित तौर पर बुधवार को हर राज्य में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी और अगले दिन देश भर के राजभवनों में विरोध प्रदर्शन करेगी।
विपक्षी दलों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे के साथ-साथ 'पेगासस प्रोजेक्ट' रिपोर्ट द्वारा लगाये गये आरोपों की गहन जांच की भी मांग की है। कांग्रेस ने सरकार पर "देशद्रोह" का आरोप लगाते हुए और गृहमंत्री अमित शाह को मामले के लिये जिम्मेदार ठहराते हुए पूरे प्रकरण में "प्रधानमंत्री की भूमिका" की भी जांच करने की बात कही है। इस का मांग का समर्थन टीएमसी, राकांपा, वाम दलों, राजद और शिवसेना की ओर से भी किया गया।
कांग्रेस पर पलटवार करते हुए सत्तारूढ़ दल (Ruling Party) ने दावा किया है कि इस दावे में या इस मामले में प्रधानमंत्री का नाम जोड़ा जाना गलत है। विपक्ष के पास अपने दावे को पुख़्ता करने के लिये नाममात्र का भी सबूत नहीं है। बेवज़ह मामले को तूल देकर इसमें प्रधानमंत्री का नाम जोड़ा जा रहा है। पूर्व आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने रिपोर्ट की विश्वसनीयता और इसके लीक होने के समय को लेकर सवाल उठाया। उन्होनें कहा कि, विपक्ष ने निराधार आरोप लगाकर दोयम दर्जे का सियासत का परिचय दिया है।
आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में कहा कि, देश के कानूनों में जांच और संतुलन के साथ अवैध निगरानी (Illegal Surveillance) संभव नहीं है। जिनका नाम भी लिस्ट में है। भारतीय लोकतंत्र को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष और कुछ अंतर्राष्ट्रीय संगठनों पर निशाना साधते हुए उनके दावों को भारत के विकास में "अवरोधक" और "बाधक" बताया। उनके मुताबिक इन हरकतों से विकास की ट्रेन पटरी से उतरती है।
विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर संसद में विरोध किया, जिससे दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित हुई। विपक्ष के कई सदस्यों ने इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए स्थगन नोटिस (Adjournment Notice) दिया, जिसे अध्यक्ष ने खारिज कर दिया।