सम्मानित हुए 22 बेहतरीन पैरालीगल स्वयंसेवक, DSLSA और सम्मान फाउंडेशन ने आयोजित किया था कार्यक्रम

नई दिल्ली (निकुंजा वत्स):  अन्तर्राष्ट्रीय न्याय दिवस के मौके पर दिल्ली राज्य विधिक सेवायें प्राधिकरण (Delhi State Legal Services Authority-DSLSA) के तत्वाधान और सम्मान फाउंडेशन की अगुवाई में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर न्यायपालिका से जुड़े कई लोगों ने कार्यक्रम में शिरकत की। जस्टिस कंवलजीत अरोड़ा (सदस्य सचिव डीएसएलएसए), गौतम मेनन एडडिशनल डिस्ट्रिक एंड सेशन जज समेत डीएसएलएसए के कई पदाधिकारियों और डिप्टी सुपरिटेंनडेंट मंडोली जेल रमन शर्मा ने इस मौके पर अपनी गारिमामयी उपस्थिति दर्ज करवायी।

इस अवसर पर जस्टिस कंवलजीत अरोड़ा ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि- भाईचारे से सभी न्यायिक समस्याओं (Judicial Problems) का हल निकाला जा सकता है। हम आम लोगों के मानवाधिकारों और न्यायिक अधिकारों की सुरक्षा के लिये प्रतिबद्ध है। सम्मान पाने वाले सभी पैरालीगल स्वयंसेवक बधाई के पात्र है। पैरालीगल वॉलंटियर्स (Paralegal Volunteers) के दम पर ही दिल्ली राज्य विधिक सेवायें प्राधिकरण की नींव टिकी हुई है।

इस अवसर पर कार्यक्रम में सम्मानित होने वाले आशु बिधूड़ी (Ashu Bidhuri) ने कहा कि- नागरिक सेवा सर्वोत्तम धर्म है, कानून का विद्यार्थी होने के नाते ये मेरा फर्ज है कि मैं समाज की बेहतरी के लिए हमेशा कार्य करूं, मुझे खुशी है कि दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने मुझे वो मौका दिया। मैंने सभी जरूरतमंद लोगों की कानूनी रूप से मदद करने की पूरी कोशिश की, आज मुझे डालसा की तरफ से सम्मानित किया गया। आगे मेरी कोशिश रहेगी कि मैं इसे और भी बेहतर कर पाऊं।

गौरतलब है कि आशु बिधूड़ी लॉ स्टूडेंट होने के साथ-साथ अपनी कानूनी पढ़ाई का फायदा आम लोगों तक पहुँचा रहे है। कोरोनाकाल के दौरान उन्होनें काफी बढ़ चढ़कर लोगों तक मुफ़्त कानूनी सलाह पहुँचायी। उन्होनें पढ़ाई के साथ-साथ मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता और कानून से जुड़ी बुनियादी बातें आम लोगों तक बोलचाल की भाषा में पहुँचायी। कई मौके पर आम लोगों के लिये उन्होनें मुफ़्त में अलग-अलग कानूनी दस्तावेज़ों की ड्राफ्टिंग (Drafting Of Legal Documents) भी की। जिससे लोगों को भारी राहत पहुँची।

ट्रैडीं न्यूज से खास बातचीत के दौरान आशु बिधूड़ी ने बताया कि- रोजमर्रा की भागदौड़ में व्यस्त रहने वाला आम नागरिक कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल करने से बचता है। कानून की दहलीज़ पर दस्तक देने से घबराता है। मैं चाहता हूँ कि ये घबराहट खत्म हो। जिसका एकमात्र रास्ता जागरूकता और सही सलाह है। कानूनी पढ़ाई से वक़्त मिलने के बाद मैं इस मुहिम को लगातार धार देता रहता हूँ। जल्द अपने बैचमेट्स की मदद से एक टीम तैयार कर आम लोगों तक कानूनी जानकारियां और सलाह पहुँचाना हमारा अगला लक्ष्य होगा।

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