National Mango Day 2021: बेमिसाल इतिहास रहा है आम का, आज है नेशनल मैंगो डे

न्यूज डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): आम, ‘फलों का राजा’, ये फल भारत में खासा लोकप्रिय है। गर्मी के मौसम में इसे सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। 22 जुलाई को राष्ट्रीय आम दिवस (National Mango Day) को रूप में इस फल को सम्मान दिया जाता हैन क्योंकि आम लोगों की पसंदीदा फलों की सूची में सबसे ऊपर है।

मैंगो स्मूदी हो, मैंगो आइसक्रीम, या मैंगो मूस, इस फल को अलग-अलग रूपों में खाया जा सकता है। आम विटामिन ए, सी और डी से भरपूर होता हैं। भारत में आमों की 100 से ज़्यादा किस्में पायी जाती हैं, और ये विभिन्न आकार, वज़न और रंगों में पाये जाते हैं। साल 1498 में जब केरल में पुर्तगाली कारोबारियों (Portuguese businessmen) ने मसाला व्यापार दस्तक दी तो आम को मंगा नाम दिया।

इस बीच वैज्ञानिकों ने आम को मैंगिफेरा इंडिया नाम दिया जो कि काजू परिवार (Anacardiaceae) का एक सदस्य है। संस्कृत आम के लिये  'मंजीरी' शब्द इस्तेमाल किया गया है, जिसका मतलब है कि छोटे समूहों में उगने वाले फूल।

भारत में Mango का इतिहास

आम भारत में सबसे पहले 5000 साल पहले उगाये गये थे। ये फल भारत में लोककथाओं और धार्मिक संस्कारों से जुड़ा हुआ है। प्रचलित लोककथाओं और किंदवतियों (Folktales and Legends) के मुताबिक स्वयं भगवान बुद्ध को आम का बाग उपहार के रूप में मिला था।

माना जाता है कि आम की खेती सबसे पहले दक्षिण एशिया में की गयी थी, जिसके बाद उन्होंने (भगवान बुद्ध) दक्षिण पूर्व एशिया की यात्रा की, जबकि आम की खेती पूर्वी अफ्रीका में 10वीं शताब्दी ईस्वी में शुरू हुई। कई रिपोर्टों के मुताबिक आम को पूर्वी एशिया, म्यांमार और पूर्वी भारत (असम राज्य) का स्वदेशी फल माना जाता है।

हालांकि भारत में आमों की विविधता के केंद्र होने का कोई निश्चित प्रमाण नहीं है जैसा कि साल 2019 के एक अध्ययन में कहा गया। अध्ययन कहा गया है कि भारतीय किस्मों की तुलना में दक्षिण पूर्व एशियाई किस्मों में उच्च अद्वितीय आनुवंशिक विविधता है, जो कि साबित करती है कि आम को पहले दक्षिण पूर्व एशिया में घरेलू तौर पर बोया गया।

पश्चिमी गोलार्द्ध (Western Hemisphere) में पहली बार आम की मौजूदगी साल 1700 में दर्ज की गयी क्योंकि धरती के इस हिस्से पर आम के बीज बेहद कठिनाइयों के साथ लाये गये। जिनमें मुख्यतौर पर परिवहन संबंधी कठिनाइयां शामिल थी। साल 1740 में आम वेस्टइंडीज से ब्राजील पहुँचा, जहां इसे रोपा गया।

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