मीडिया अब खबरें बताने के बजाये खबरों को छुपाने में जुट गया है। पिछले दिनों चीन की सरकार (Govt. of China) ने एक आश्चर्यजनक कदम उठाया। चीन सरकार ने बच्चों की शिक्षा से जुड़ी कोचिंग कंपनियों के मुनाफा कमाने पर रोक लगा दी। इससे चीन की बड़ी शैक्षिक कम्पनियों जैसे टीएएल एजुकेशन, गाओतू टेकएडु और न्यू ओरिएंटल एजुकेशन के शेयर धड़ाम हो गये।
टीएएल एजुकेशन चीन की सबसे बड़ी शिक्षा कंपनी है। उसके चीन के 102 शहरों में 990 कोचिंग सेंटर हैं, जिनमें 45 हजार से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। ये वैसे ही है जैसे हमारे देश में बंसल ओर आकाश वाली कोचिंग कम्पनियां है।
चीन के शिक्षा मंत्रालय की साइट पर पोस्ट किये गये एक लेख में कहा गया कि, आउट-ऑफ-स्कूल शिक्षा उद्योग को अब “पूंजी द्वारा गंभीर रूप से अपहृत” किया गया है और इसने कल्याण के रूप में शिक्षा की प्रकृति को बिगाड़ दिया है।
चीन में अब ऑनलाइन एजुकेशन वाली कंपनियों को प्रॉफिट के लिये नहीं चलाया जाएगा ये कंपनियां आईपीओ (IPO) नहीं ला सकती ओर विदेशी पूंजी (Foreign Capital) को बिल्कुल नहीं ले सकती।
चीन सरकार का मानना है कि ट्यूशन और कोचिंग के कारण के बच्चों से जरूरत से ज्यादा मेहनत कराई जा रही है। साथ ही माता-पिता पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ रहा है। उसके अलावा महंगे स्कूलों, ट्यूशन और कोचिंग से शिक्षा के मामले में देश में गैर-बराबरी भी बढ़ी है।
इस नीति की घोषणा कर चीन ने साफ किया है कि फन, गेम, ई-कॉमर्स, शॉपिंग से देश को फायदा नहीं होगा। वो चाहता है कि बच्चे रिसर्च, इंजीनियरिंग, डिजाइन, नए ईंधन पर ध्यान दें।
इसके बनिस्बत भारत मे आज क्या हो रहा है ? क्या आपने कभी इस विषय मे सोचा ?
भारत में पिछले दो दशकों से स्कूल के बाहर बच्चों को पढ़ाने और यूनिवर्सिटी में दाखिला दिलाने के मकसद से कोचिंग करने वाली कंपनियों का कारोबार कितनी तेजी से बढ़ा है हम सबने देख लिया है। स्कूलों में पढ़ाई और शिक्षकों के खराब स्तर के साथ ही इंजीनियरिंग, मेडिकल और मैनेजमेंट संस्थानों में दाखिले के लिए बढ़ती गलाकाट होड़ ने कोचिंग के कारोबार को फलने-फूलने में भारी मदद पहुंचाई है। कोटा की पूरी अर्थव्यवस्था कोचिंग के कारोबार पर ही खड़ी है। दिल्ली के मुनरिका, लक्ष्मीनगर, मुखर्जी नगर और कालू सराय इलाकों में आईआईटी और सरकारी नौकरियों के लिए होने वाली परीक्षाओं के लिए सैकड़ों कोचिंग संस्थान चलाए जा रहे है।
लेकिन पिछले कुछ सालों से कोरोना के कारण ऑनलाइन एजुकेशन का जोर बहुत बढ़ गया है और इसे देखते हुए ही मल्टीनेशनल कंपनियां निवेश कर रही हैं। कोरोना महामारी में डिजिटल शिक्षा की दुनिया में क्रांति आ गई है और इस महामारी ने डिजिटल दुनिया को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है।
आज देश के को चिंग कारोबार पर विदेशी मल्टीनेशनल कंपनियों का पूरी तरह से कब्जा हो गया है बायजू भारतीय कम्पनी बस नाम के लिए ही है। साल 2018 से ही बाइजू में दिग्गज निवेश कंपनी टेन्सेंट, BCCL न्यूयॉर्क की जनरल अटलांटिक, सिकोया कैपिटल, मार्क एंड चेन जुकरबर्ग फिलेन्थ्रोपिक इनिशिएटिव (Philanthropic Initiative) का निवेश बढ़ता जा रहा है। कुछ महीने पहले ही BYJU’S में कतर इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (QIA) ने करीब 1000 करोड़ रुपये निवेश किया। इसी निवेश के कारण उसने देश में परीक्षाओं की तैयारी कराने वाली सबसे बड़े स्तर की कंपनी आकाश एजुकेशन सर्विसेज का अधिग्रहण कर लिया है।
पिछले छह महीने में बायजूज ने एजुकेशनल टेक्नोलॉजी कंपनियों के अधिग्रहण पर 2 अरब डॉलर (करीब 15 हजार करोड़ रुपये) से ज्यादा खर्च किये हैं, अनएकेडमी (Unacdemy) इंडिया में फेसबुक समेत अन्य कंपनियों ने 715 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
सीधी बात है बड़ी पूंजी छोटी पूंजी को निगल रही है, दरअसल भारत की मोदी सरकार को चीन की सरकार की ही तरह कदम उठाने चाहिए थे, उसे भी फन, ऑनलाइन गेम और ऑनलाइन गैंबलिंग (Online Gambling) जैसी चीजों पर रोक लगानी चाहिए थी कोचिंग इंडस्ट्री के बेहिसाब मुनाफा खोरी ओर उसमे विदेशी पूंजी के प्रवेश पर रोक लगानी चाहिए लेकिन हम सब देख रहे हैं कि क्या हो रहा है ?