न्यूज डेस्क (मृत्युजंय झा): पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly Election) से ठीक पहले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को करारा झटका लगा है। अब उन्हें सियासी सलाहकार प्रशांत किशोर का साथ नहीं मिल पायेगा। हाल ही में प्रशांत किशोर कैप्टन ने प्रमुख सलाहकार का पद छोड़ने की मंशा जाहिर की।
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Election Strategist Prashant Kishore) ने कैप्टन अमरिंदर सिंह से कहा कि, सार्वजनिक जीवन में सक्रिय भूमिका से अस्थाई तौर पर अवकाश लेने के फैसले लेने के बाद मैंने आपके प्रधान सलाहकार का पद स्वीकारा। अब मुझे लगता है कि मैं ये जिम्मेदारियों संभालने में सक्षम नहीं हूं। मैं आपसे गुजारिश करता हूं कृपया मुझे इस जिम्मेदारी से मुक्त करें।
साल 2022 में होने वाली पंजाब विधानसभा चुनावों से पहले प्रशांत किशोर का कैप्टन को छोड़कर जाना बड़ा झटका माना जा रहा है। प्रशांत किशोर काफी वक्त पहले ही सार्वजनिक जीवन (Public Life) से संन्यास का ऐलान कर चुके थे, लेकिन कैप्टन के प्रमुख सलाहकार के पद को लेकर उन्होंने लंबे समय से चुप्पी साधी थी।
माना जा रहा है कि पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच हुई नोकझोंक के कारण प्रशांत किशोर ऐसी गुजारिश कर रहे हैं। राजनीतिक जानकार मान रहे है कि पंजाब कांग्रेसी की आपसी फूट और प्रशांत किशोर के बेरूखी चुनावी नतीज़ों पर सीधा असर डाल सकती है।
प्रशांत किशोर ने तृणमूल कांग्रेस और तमिलनाडु चुनावों में स्टालिन जीत के लिये जमीन तैयार की। उन्हीं की देखरेख में चुनावी रैली और इलेक्शन मैनेजमेंट (Election rally and election management) का काम किया गया। पिछले पंजाब चुनावों में भी प्रशांत कैप्टन के साथ थे। प्रशांत किशोर की रणनीति और राजनीतिक कौशल को देखते हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उन्हें अपना प्रधान सलाहकार (Principal Advisor) बनाया। जिसके बाद अपनी पार्टी में ही घिर गये और पार्टी के कई आला नेताओं ने इस पर आपत्ति दर्ज की।
जैसे ही प्रशांत किशोर को कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपना प्रधान सलाहकार नियुक्त किया तो पंजाब सरकार सीधे ही विपक्ष के निशाने पर आ गयी। आम आदमी पार्टी और शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) ने पंजाब सरकार से घर-घर रोजगार, बेरोजगारी भत्ता और किसान कर्ज माफी जैसी योजनाओं समेत कई मुद्दे पर सवाल पूछना शुरु कर दिया।