CBSE:महामारी 19 ने हमें अनूठे तरीके खोजने के लिए मजबूर किया है। जिसके चलते हमने कई अप्रत्याशित चुनौतियों का सामना किया और उन पर काबू भी पाया। इन्हीं चुनौतियों में से एक रहा साल 2021-21 के 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा के लिये नतीज़ों के लिये पैमाना तैयार करना। जहां एक समान लिखित परीक्षा की अनुपस्थिति के साथ, सीबीएसई ने एक प्रणाली तैयार की। जिसके तहत क्लास 12वीं के फाइनल मार्क्स कैलकुलेशन (Final Marks Calculation) के लिये खांचा तैयार करना।
इस खाके में सीबीएसई ने छात्रों के तीन सबसे ज़्यादा मार्क्स वाले विषयों को वैटेज का आधार बनाया, जिसके लिये 30 फीसदी अंक निर्धारित किये गये। कुल थ्योरी विषयों के लिये 30 प्रतिशत अंक और कक्षा में सिद्धांत और व्यावहारिक अंकों के विभिन्न घटकों के साथ कक्षा 11वीं में दिये आंतरिक मूल्यांकन को 40 प्रतिशत का वेटेज दिया गया। जिसके आधार कक्षा 12वीं के नतीज़ों का ऐलान किया गया।
मोटे तौर पर 10वीं और 12वीं बोर्ड के नतीजों से खुश हैं। इस साल 95 फीसदी से ज्यादा अंक हासिल करने वाले छात्रों की संख्या क गंभीरता से लेना चाहिये। कई छात्रों ने प्री बोर्ड परीक्षाओं (Pre Board Exams) में बैठने का विकल्प चुना क्योंकि उनके माता-पिता उन्हें अपने घरों की सुरक्षा में रखना चाहते थे। अब से सभी ग्रेडों में अपनी शिक्षा को गंभीरता से लेंगे, जो कि होना जरूरी था। इस दौरान सेल्फ लर्निंग (Self Learning) अत्यंत महत्वपूर्ण कला भी बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने सीखी है। वैसे भी हमारे देश में बोर्ड के अंको को हमेशा अहमियत दी गयी है लेकिन हमें ये सीखना होगा कि ज्ञान लंबे समय तक साथ देता है। कौशल,दक्षता और मेहनती छात्र अपनी पहचान बनाने में कभी असफल नहीं होते।
हमें केवल कक्षा 10वीं और 12वीं के छात्रों पर ही ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए, बल्कि कक्षा 1 से 11 तक माता-पिता और स्कूलों को ये सुनिश्चित करने के लिए कि ग्रेड के अनुसार ज्ञान प्रदान किया जाना चाहिये है। बैच 2021-22 पर अतिरिक्त प्रयास करने की आवश्यकता है। छात्रों को थोड़ी ज़्यादा मेहनत करने की जरूरत होगी ताकि ग्रेडवार ज्ञान (Grade Wise Knowledge) का अंतराल न रहे।