Tokyo Olympics 2020: रवि दहिया की जीत और खेल शुचिता पर सुलगते सवाल

Tokyo Olympics 2020: भारतीय पहलवान रवि दहिया ने टोक्यो ओलंपिक में आखिरी 50 सेकंड में सेमीफाइनल मैच जीत लिया लेकिन इस मैच में कुछ ऐसा हुआ जिसकी चर्चा नहीं हो रही है। कजाकिस्तान के पहलवान ने इस मैच के दौरान रवि दहिया की बांह को दांतों से काट लिया और छल से इस मैच को जीतने की कोशिश की।

4 अगस्त को जब सेमीफाइनल मैच का आखिरी मिनट बचा तब तक रवि दहिया 9 अंक गंवा चुके थे और कजाकिस्तान के पहलवान ने चार अंक की बढ़त बना ली थी लेकिन आखिरी कुछ सेकेंड में दहिया ने प्रतिद्वंद्वी को चित्त कर दिया, यानि उसे नीचे गिरा दिया और उसके दोनों कंधों को मैट पर रख दिया। कुश्ती में इसे विक्ट्री बाय फॉल (Victory By Fall) कहा जाता है। ऐसा करने वाला पहलवान उसी समय अपनी बाउट जीत जाता है। ये बात कजाकिस्तान के पहलवान को पता थी और इसीलिए उन्होंने रवि दहिया की बांह को दांतों से काटा ताकि वो दांव पूरी तरह ना लगा सके।

रवि दहिया के सामने चुनौती ये थी कि उन्हें खुद को बचाते हुए इस पहलवान को चंद सेकेंड में हराना था। जब कोई विरोधी इस तरह से नियम तोड़ता है तो खिलाड़ी के लिये अपनी पूरी ताकत अपने दांव पर लगाना आसान नहीं होता है। इसलिए कहा जा सकता हैं कि भले ही रवि दहिया रेसलिंग मैट पर स्वर्ण पदक के दांव से चूक गए, लेकिन उन्होंने जिस तरह से रजत पदक जीता, वो जुनून किसी सोने की चमक से कम नहीं है।

नियमों के मुताबिक कुश्ती के बाउट में कोई भी खिलाड़ी एक दूसरे को नहीं काट सकता है। यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (United World Wrestling) के अध्याय नौ के भाग 48  प्रोहिबिशन एंड इल्लीगल होल्ड्स में कहा गया है कि पहलवान कुश्ती में एक-दूसरे के बाल नहीं खींच सकते, खेल के दौरान कान नहीं खींच सकते, प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी को कहीं भी चुटकी दबा ले सकते, दांतों से काट नहीं सकते और उंगालियां नाहीं मरोड़ सकते।

अगर कोई खिलाड़ी पहली बार ऐसा करता है तो रेफरी उसे चेतावनी दे सकता है। दूसरी बार ऐसा होने पर प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी को दो अतिरिक्त अंक दिये जायेगें और अगर रेफरी को लगता है कि खेल के दौरान कोई खिलाड़ी जानबूझकर प्रतिद्वंद्वी को नुकसान पहुंचा रहा है तो वो उस समय मैच को रोक सकता है और ऐसा करने वाले पहलवान को अयोग्य घोषित कर सकता है, रेफरी तब प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी को विजेता घोषित कर सकता है।

हालांकि इस मामले में ऐसा कुछ नहीं हुआ। यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग का कहना है कि कजाकिस्तान के पहलवान ने जानबूझकर रवि दहिया को नहीं काटा।

ऐसा नहीं है कि कुश्ती या बॉक्सिंग के खेल में किसी खिलाड़ी के साथ ऐसा पहली बार हो रहा हो। ये दोनों ऐसे ही खेल हैं, जिनमें ताकत और दिमाग दोनों का तालमेल बेहद जरूरी है लेकिन इन खेलों में हार के दौरान अक्सर खिलाड़ी आपा खो बैठते हैं और ऐसी हरकतें करते हैं।

साल 2016 के रियो ओलंपिक खेलों में क्वार्टर फ़ाइनल के दौरान एक यूक्रेनी पहलवान ने अमेरिकी पहलवान का हाथ काट दिया था। हालांकि तब भी अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति की ओर से इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गयी थी।

इसके अलावा साल 2012 के लंदन ओलंपिक में भी भारतीय पहलवान सुशील कुमार पर सेमीफाइनल मैच में कजाकिस्तान के पहलवान का कान काटने का आरोप लगा था लेकिन बाद में उन्होंने इन आरोपों का खंडन किया और यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग संगठन ने भी उन्हें दोषी नहीं पाया। हालांकि आज सुशील कुमार अपने जूनियर पहलवान की हत्या के आरोप में जेल में हैं।

कुश्ती जैसी घटनायें बॉक्सिंग में भी हुई हैं। साल 1997 में अमेरिका में एक बॉक्सिंग चैंपियनशिप के दौरान दिग्गज़ मुक्केबाज माइक टायसन (Mike Tyson) ने रिंग में बॉक्सर इवांडर होलीफील्ड (Boxer Evander Holyfield) का कान काट लिया था। माइक टायसन उस समय इवांडर होलीफील्ड से पीछे चल रहे थे, जब उन्होंने ऐसा किया तो इसके लिए उनका बॉक्सिंग लाइसेंस 6 साल के लिए सस्पेंड कर दिया गया और उन पर 3 मिलियन यूएस डॉलर यानि 22.5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया।

हालांकि बहुत कम लोग जानते हैं कि इस घटना के बाद माइक टायसन कान काटने के लिए पूरी दुनिया में मशहूर हो गये और फिर उन्होंने कान काटने वाली हरकत करते हुए कई इवेंट्स में अपनी तस्वीरें खिंचवायी और इससे खूब पैसा भी  कमाया। टायसन ने एक बार कहा था कि उन्होंने इवांडर होलीफील्ड के कान काटने के लिए दिये जुर्माने के मुकाबले इन घटनाओं से जुड़े खुद के फोटोग्राफ खिंचवाकर काफी पैसा कमाया।

किसी भी खिलाड़ी का चरित्र पदक से बड़ा होता है और इसे आप रवि दहिया के शब्दों से समझ सकते हैं। उन्होंने फाइनल में हार के बाद देश की जनता से माफी मांगी और कहा कि वो निराश हैं क्योंकि वो उम्मीद के मुताबिक देश के लिये गोल्ड मेडल नहीं जीत सके। हरियाणा सरकार ने रवि दहिया को 4 करोड़ रुपये का इनाम देने का ऐलान किया है और उनके रजत पदक जीतने पर पूरा देश खुश है।

सह संस्थापक संपादक – राम अजोर

Leave a comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More