Haryana & Olympics: टोक्यो ओलंपिक 2020 को इतिहास में कई कारणों से लंबे समय तक याद रखा जाएगा, जिनमें सबसे अहम है कोविड-19 महामारी के दौरान खेले जाने वाले पहले ओलंपिक खेल। लेकिन रूकिये इतना ही नहीं। टोक्यो 2020 ने भारत को गर्व के साथ सिर ऊंचा करके मुस्कुराने के कई कारण भी दिये।
भारत का राष्ट्रगान अभी बाकी है, जबकि ऐसे कई मौके आए हैं जब हम खिलाड़ी मंच पर पहुंचे और हमारा तिरंगा गर्व से लहराया। हां हमें अपने हिस्से के पदक मिले और विभिन्न राज्यों के 127 एथलीटों का धन्यवाद, जिन्होनें गर्व के साथ 135 करोड़ भारतीयों और देश का प्रतिनिधित्व किया।
ये एथलीट तीरंदाजी, एथलेटिक्स, मुक्केबाजी, बैडमिंटन, घुड़सवारी, तलवारबाजी, गोल्फ, जिमनास्टिक, हॉकी, जूडो, रोइंग, निशानेबाजी, नौकायन, तैराकी, टेबल टेनिस, टेनिस, भारोत्तोलन और कुश्ती सहित ओलंपिक में खेले जा रहे 18 विभिन्न खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
इन खेलों में कुछ विशेष रूप से बहुत ही चौंकाने वाला है। हरियाणा और पंजाब के एथलीट एक बार फिर आगे चल रहे हैं। भारत की विशाल आबादी का सिर्फ 4.4% वाले पंजाब और हरियाणा ने मिलकर 50 एथलीटों को टोक्यो ओलंपिक 2020 खेलों में भेजा है, जो भारतीय दल का 40 फीसदी हिस्सा है।
भारतीय दल में हरियाणा के 31 एथलीट हैं, जो भारतीय कॉन्टिजेंट (Indian Continent) का लगभग 25% है,जबकि पंजाब से 19 खिलाड़ी भेजे गये हैं। तमिलनाडु ने 11 एथलीटों को टोक्यो भेजा है जो कि कॉन्टिजेंट का 8.7% है। इसके बाद केरल और उत्तर प्रदेश प्रत्येक से 8 एथलीट खेले में शामिल हुए। दिलचस्प बात ये है कि यूपी भारत का सबसे बड़ा राज्य है, जहां भारत की कुल आबादी का लगभग 17% हिस्सा रहता है, यूपी ने टोक्यो में भारतीय कॉन्टिजेंट में एथलीटों का सिर्फ 6.3% योगदान दिया।
जब केरल से तुलना की जाती है, जहां देश की 2.6 फीसदी आबादी रहती है, ऐसे में केरल ने भारतीय एथलीट (Indian athlete) खेमे 2.6% हिस्सेदारी का योगदान दिया।व मणिपुर के पांच एथलीट ने भी भारत का प्रतिनिधित्व किया गौरतलब है कि मणिपुर की मीराबाई चानू सैखोम ने भारत के लिए पहला रजत पदक जीता और टोक्यो 2020 के लिए गति निर्धारित की।
मेडल और ओलंपियनों को गढ़ बनता Haryana
इन सबसे अलग हरियाणा न सिर्फ सबसे ज़्यादा व्यक्तिगत ओलंपिक पदक (Individual Olympic Medals) विजेताओं का घर है, बल्कि टोक्यो ओलंपिक 2020 में सबसे ज़्यादा प्रतिभागी 31 एथलीट हरियाणा से ही है। टोक्यो ओलंपिक 2020 शुरू होने से पहले आंकड़ों के आंकड़ों पर नज़र डाले तो हर चार साल में खेले जाने वाले दुनिया के सबसे बड़े खेल टूर्नामेंट देश के एथलीटों ने अब तक कुल 17 पदक व्यक्तिगत जीते है। इन 11 राज्यों के 17 पदक विजेताओं में हरियाणा के चार एथलीटों विजेंदर सिंह, साइना नेहवाल, योगेश्वर दत्त, साक्षी और मलिक ने साल 2008 ओलंपिक के बाद जीते।
हरियाणा के बाद पश्चिम बंगाल ने तीन ओलंपिक पदक और दिल्ली ने दो ओलंपिक पदक जीते हैं, जबकि कम से कम आठ राज्यों के प्रतिभागियों ने एक-एक पदक जीता। छह खिलाड़ियों के साथ चार हॉकी में और दो कुश्ती में। इनमें सोनीपत जिले ने सबसे ज़्यादा ओलंपियनों (Olympians) का योगदान रहा है, इसके बाद कुरुक्षेत्र और झज्जर हैं।
हरियाणा के सोनीपत जिले में नाहरी और नाहरा की दो पंचायती क्षेत्र पहलवानों को तैयार करने के लिये खास तौर से जाने जाते है। कुछ ऐसा ही खेलों का रिवाज़ (Customs Of Sports) सोनीपत के लगभग हर गांव में है। इन्हीं गांवों से दो अर्जुन पुरस्कार विजेता पहलवान सतवीर सिंह और महावीर सिंह और दो ओलंपियन महावीर सिंह (1980 मास्को) और अमित कुमार दहिया (2012 लंदन) हैं।
18 साल की उम्र में अमित कुमार दहिया ने साल 2012 के लंदन ओलंपिक में भाग लेने वाले सबसे कम उम्र के भारतीय पहलवान होने का रिकॉर्ड अपने नाम किया। हरियाणा के नाहरी गांव के फ्रीस्टाइल पहलवान रवि दहिया (57 किग्रा) ने स्वर्ण पदक मैच में रूस के ज़ावुर उगुएव से अंकों से हारकर टोक्यो में अपना पहला ओलंपिक खेलों में रजत पदक जीता। हरियाणा की नौ खिलाड़ी महिला हॉकी टीम (Indian women's hockey team) का हिस्सा हैं। साथ ही भारतीय दल के सात पहलवान इसी राज्य से हैं।