वोडाफोन आइडिया (Vodafone-Idea) का बन्द होना मंदी से जूझ रही भारतीय अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ डालेगा। सबसे बड़ा नुकसान भारतीय बैंको को होने जा रहा है।
वोडाफोन आइडिया पर 8 भारतीय बैंकों का करीब 30 हजार करोड़ रुपया उधार है। लिस्ट इस तरह है…
भारतीय स्टेट बैंक- 11,000 करोड़ रुपये
यस बैंक- 4,000 करोड़ रुपये
इंडसइंड बैंक- 3,500 करोड़ रुपये
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक- 3,240 करोड़ रुपये
पंजाब नेशनल बैंक- 3,000 करोड़ रुपये
आईसीआईसीआई बैंक- 1,700 करोड़ रुपये
एक्सिस बैंक- 1,300 करोड़ रुपये
एचडीएफसी बैंक- 1,000 करोड़ रुपये
यस बैंक और IDFC first बैंक को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। खास बात ये है कि ये दोनों बैंक अभी बैड लोन की समस्या से उबरने की कोशिश कर रहे हैं। लोन बुक के लिहाज से वोडाफोन आइडिया के डूबने का सबसे ज्यादा असर आईडीएफसी फर्स्ट बैंक पर पड़ेगा। इसकी वजह ये है कि उसकी लोनबुक (loan book) में वोडाफोन आइडिया के लोन की हिस्सेदारी 2.9 फीसदी है। इसके बाद यस बैंक की लोन बुक में वोडाफोन आइडिया की हिस्सेदारी 2.4 फीसदी है।
पहले ही कई कंपनियों के कर्ज न चुकाने के कारण संकट में चल रहे बैंकिंग सेक्टर के लिये वोडाफोन आईडिया का डिफॉल्ट बड़ा झटका साबित हो सकता है।
इसके अलावा डेट फण्ड (Debt Fund) भी बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। आउटलुक एशिया कैपिटल (Outlook Asia Capital) के डेटा दिखाते हैं कि चार एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (Asset Management Companies) की स्कीमों ने वोडाफोन आइडिया के डेट पेपर (बॉन्ड) में पैसा लगाया हुआ है। इनमें फ्रैंकलिन टेम्पलटन म्यूचुअल फंड (Franklin Templeton Mutual Fund), आदित्य बिड़ला सनलाइफ म्यूचुअल फंड, यूटीआई म्यूचुअल फंड और निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड शामिल हैं।
फ्रैंकलिन टेम्पलटन के पास वोडाफोन आइडिया के कर्ज का 954 करोड़ रुपये है। ये उसके कुल एसेट मैनेजमेंट का 2.95 फीसदी है। आदित्य बिड़ला सनलाइफ के पास फर्म की 518 करोड़ रुपये की डेट प्रतिभूतियां (Debt Securities) हैं। ये म्यूचुअल फंड हाउस के एसेट बेस का 2.27 फीसदी है। यूटीआई एमएफ और निप्पॉन इंडिया एमएफ की स्कीमों का अभी 415 करोड़ रुपये और 136 करोड़ रुपये टेलीकॉम कंपनी में निवेश है।
यानि न सिर्फ बैंक बल्कि म्यूचअल फंड जारी करने वाली कम्पनियां भी इससे प्रभावित हो रही है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि वोडाफोन के दिवालिया होने और बैंकों का कर्ज न चुकाने पर भारत का राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) 40 बेसिस पॉइंट बढ़ सकता है।