नई दिल्ली (निकुंजा वत्स): क्या आपको याद है भारत के तिरंगे (Tiranga) का क्या महत्व है? राष्ट्रीय ध्वज भारत के गौरव, आशा और देश के लोगों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Father of the Nation Mahatma Gandhi) ने तिरंगे के बारे में कहा, “राष्ट्रीय ध्वज सभी राष्ट्रों के लिए एक जरूरत है। इसके लिए लाखों लोगों अपना बलिदान दिया। ये स्थापित आदर्श का प्रतिनिधित्व करता है।”
महात्मा गांधी ने कहा, “हम भारतीयों, मुसलमानों, ईसाइयों, यहूदियों, पारसियों और अन्य सभी लोगों के लिए, जिनके लिए भारत उनका घर है, ये जरूरी होगा कि हम जीने और मरने के लिये एक समान ध्वज को पहचानें।” लेकिन हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगें का इतिहास क्या है?
भारतीय तिरंगे को पिंगली वेंकय्या ने डिजाइन किया था, जो कि स्वतंत्रता सेनानी थे और महात्मा गांधी के अनुयायी भी। पिंगली वेंकय्या ने ध्वज़ को डिजाइन किया, वहीं उनके डिजाइन पर भारतीय तिरंगे आधारित है।
1921 में विजयवाड़ा में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अधिवेशन (All India Congress Committee session) के दौरान पिंगली वेंकैया (Pingali Venkaiah) ने भारत के झंडे को डिजाइन किया था और महात्मा गांधी के सामने पेश किया। झंड़ा उस समय हरे और भगवा रंग से बना था जो भारत के मुस्लिम और हिंदू समुदायों का प्रतिनिधित्व करता था। महात्मा गांधी ने बाद में सफेद पट्टी और चरखा जोड़ने का सुझाव दिया। जिसके बाद ध्वज को अनौपचारिक तौर पर अपनाया गया। मौजूदा तिरंगे को उसके मूल प्रतिरूप में पहली बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इस्तेमाल किया।
तिरंगे झंडे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने के लिये साल 1931 में एक प्रस्ताव पारित किया गया था। झड़ा भगवा सफेद और हरा था, जिसके केंद्र में महात्मा गांधी का चरखा था। ध्वज को 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा द्वारा स्वतंत्र भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया था। स्वतंत्रता के बाद झंड़े को बाद में संशोधित किया गया क्योंकि राष्ट्रीय ध्वज पर प्रतीक के रूप में सम्राट अशोक के धर्म चक्र (Ashoka's Dharma Chakra) को चरखे से बदल दिया गया था।
तिरंगे का केसरिया रंग का देश की ताकत और साहस का प्रतिनिधित्व करता है, धर्म चक्र के साथ सफेद रंग शांति और सच्चाई को दर्शाता है जबकि हरा रंग का भारतीय भूमि की उर्वरता, विकास और शुभता को दर्शाता है।