एजेंसियां/न्यूज डेस्क (गौरांग यदुवंशी): काबुल (Kabul) में भारतीय दूतावास वीजा जारी करने के लिये लगातार ओवरटाइम काम कर रहा है। युद्धग्रस्त अफगानिस्तान से बाहर जाने वाले अफगान नागरिकों ने एकाएक वीज़ा आवेदनों (Visa Applications) देने में बढ़ोत्तरी कर दी है। तालिबान काबुल की चौखट पर खड़ा है। ये कंधार, हेरात, लश्कर गाह और अब मजार-ए-शरीफ जैसे बड़े शहरों समेत अफगानिस्तान के 60 फीसदी से ज़्यादा इलाके को नियंत्रित कर रहा है।
तालिबान के हमले के डर से कई अफगान दूसरे देशों की ओर जा रहे हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और अन्य देशों ने पहले ही उदार अप्रवासी वीजा आबंटित (Liberal Immigrant Visa Allocated) करने के लिये अपने दरवाज़े खोल दिये है। सूत्रों के मुताबिक भारत उन अफगानों के लिए भी वीजा की सुविधा देगा, जिन्होंने भारतीय वाणिज्य दूतावासों और दूतावासों में काम करने वाले लोगों के कर्मचारियों और परिवारों के साथ मिलकर काम किया।
अफगानिस्तान में भारी भीड़ के बावजूद भारत लगातार वीजा जारी कर रहा है। जिसके मद्देनज़र वीज़ा कोटा को भी बढ़ाया गया है। भारत लगातार अपने साथ काम करने वाले अफ़गानों के लिए वीज़ा की सुविधा सुनिश्चित कर रहा है। भारत ने मौजूदा हालातों में अफगानिस्तान में वाणिज्य दूतावास (Commerce embassy) को बंद कर दिया हैं। वीजा सिर्फ काबुल में भारतीय दूतावास से जारी किये जा रहे हैं।
भारत ने हाल ही में दोहा वार्ता (Doha Talks) में हिस्सा लिया। नई दिल्ली ने लगातार कहा कि कोई भी समझौता अफगानिस्तान की अगुवाई वाला और अफगान के स्वामित्व वाला होना चाहिए। पता चला है कि भारत ने बैठक के दौरान बताया है कि वो तालिबानी सरकार को ज़बरन मान्यता नहीं देगा। भारत चाहता है कि अफगानिस्तान में समावेशी राजनीतिक समझौता, अल्पसंख्यकों, महिलाओं और युवाओं के अधिकारों की सुरक्षा होनी चाहिए। भारत ये भी मानता है कि अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानूनों का सम्मान होना चाहिए।