न्यूज डेस्क (गौरांग यदुवंशी): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने आज (20 अगस्त 2021) वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये गुजरात के सोमनाथ में कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। जिन परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया उनमें खासतौर से शामिल है, सोमनाथ सैरगाह, सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र (Somnath Exhibition Center) और पुराने (जूना) सोमनाथ के पुनर्निर्मित मंदिर परिसर कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने श्री पार्वती मंदिर की आधारशिला भी रखीं। मंदिर के निर्माण कुल 30 करोड़ रुपये खर्च किये जाने वित्तीय प्रावधान सुनिश्चित किये गये है। इसमें सोमपुरा सलात शैली (Sompura Salats Style) में मंदिर निर्माण, गर्भ गृह और नृत्य मंडप का विकास शामिल है।
47 करोड़ रुपये से ज़्यादा के वाले सोमनाथ सैरगाह को प्रसाद (तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक, विरासत संवर्धन अभियान) योजना के तहत विकसित किया गया है। 'पर्यटक सुविधा केंद्र' के परिसर में विकसित सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र में पुराने सोमनाथ मंदिर के खंडित हिस्सों और पुराने सोमनाथ की नागर शैली के मंदिर, वास्तुकला वाली मूर्तियों को भी प्रदर्शित किया गया है।
पुराने (जूना) सोमनाथ के पुनर्निर्मित मंदिर परिसर (Renovated Temple Complex) को श्री सोमनाथ ट्रस्ट द्वारा 3.5 करोड़ रुपये के कुल खर्च के साथ पूरा किया गया है। इस मंदिर को अहिल्याबाई मंदिर (Ahilyabai Temple) के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इसे इंदौर की रानी अहिल्याबाई ने बनवाया था जब उन्होंने पाया था कि पुराना मंदिर खंडहर वाले हालातों में था। तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और संवर्धित क्षमता के लिये पूरे पुराने मंदिर परिसर का समग्र रूप से पुनर्विकास किया गया है।
इस मौके पर पीएम मोदी ने कहीं ये अहम बातें:
- मेरा सौभाग्य है कि सोमनाथ मंदिर ट्रेस्ट के अध्यक्ष के रूप में मुझे इस पुण्य स्थान की सेवा का अवसर मिलता रहा है। आज फिर हम सब इस पवित्र तीर्थ के कायाकल्प के साक्षी बन रहे हैं।
- आज मैं लौह पुरुष सरदार पटेल जी के चरणों में भी नमन करता हूँ जिन्होंने भारत के प्राचीन गौरव को पुनर्जीवित करने की इच्छाशक्ति दिखाई। सरदार साहब, सोमनाथ मंदिर को स्वतंत्र भारत की स्वतंत्र भावना से जुड़ा हुआ मानते थे।
- आज मुझे समुद्र दर्शन पथ, सोमनाथ प्रदर्शन गैलरी और जीर्णोद्धार के बाद नए स्वरूप में जूना सोमनाथ मंदिर के लोकार्पण का सौभाग्य मिला है। साथ ही आज पार्वती माता मंदिर का शिलान्यास भी हुआ है।
- आज मैं, लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर को भी प्रणाम करता हूँ जिन्होंने विश्वनाथ से लेकर सोमनाथ तक, कितने ही मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया। प्राचीनता और आधुनिकता का जो संगम उनके जीवन में था, आज देश उसे अपना आदर्श मानकर आगे बढ़ रहा है।
- सोमनाथ आने वाले श्रद्धालु अब यहां जूना सोमनाथ मंदिर के भी आकर्षक स्वरूप का दर्शन करेंगे, नए पार्वती मंदिर का दर्शन भी करेंगे। इससे यहां नए अवसरों और नए रोजगारों का भी सृजन होगा और स्थान की दिव्यता भी बढ़ेगी।
- ये शिव ही हैं जो विनाश में भी विकास का बीज अंकुरित करते हैं, संहार में भी सृजन को जन्म देते हैं। इसलिए शिव अविनाशी हैं, अव्यक्त हैं और अनादि हैं। शिव में हमारी आस्था हमें समय की सीमाओं से परे हमारे अस्तित्व का बोध कराती है।
- इस मंदिर को सैकड़ों सालों के इतिहास में कितनी ही बार तोड़ा गया, यहाँ की मूर्तियों को खंडित किया गया, इसका अस्तित्व मिटाने की हर कोशिश की गई। लेकिन इसे जितनी भी बार गिराया गया, ये उतनी ही बार उठ खड़ा हुआ।
- जो तोड़ने वाली शक्तियाँ हैं, जो आतंक के बलबूते साम्राज्य खड़ा करने वाली सोच है, वो किसी कालखंड में कुछ समय के लिए भले हावी हो जाएं लेकिन, उसका अस्तित्व कभी स्थायी नहीं होता, वो ज्यादा दिनों तक मानवता को दबाकर नहीं रख सकती।
- हमारी सोच होनी चाहिए इतिहास से सीखकर वर्तमान को सुधारने की, एक नया भविष्य बनाने की। इसलिए, जब मैं ‘भारत जोड़ो आंदोलन’ की बात करता हूँ तो उसका भाव केवल भौगोलिक या वैचारिक जुड़ाव तक सीमित नहीं है। ये भविष्य के भारत के निर्माण के लिए हमें हमारे अतीत से जोड़ने का भी संकल्प है।
- ये ऐसा स्थल है जिसे हजारों साल पहले हमारे ऋषियों ने ज्ञान का क्षेत्र बताया था। जो आज भी पूरे विश्व के सामने आह्वान कर रहा है कि सत्य को असत्य से हराया नहीं जा सकता, आस्था को आतंक से कुचला नहीं जा सकता।
- आज राम मंदिर के रूप में नए भारत के गौरव का एक प्रकाशित स्तम्भ भी खड़ा हो रहा है। हमारी सोच होनी चाहिए इतिहास से सीखकर वर्तमान को सुधारने की, एक नया भविष्य बनाने की।
- हमारे लिए इतिहास और आस्था का मूल भाव है सबका साथ- सबका विकास - सबका विश्वास और सबका प्रयास। हमारे यहां जिन द्वादश ज्योतिर्लिंगों की स्थापना की गई है, उनकी शुरुआत सोमनाथ मंदिर से ही होती है।
- पश्चिम में सोमनाथ और नागेश्वर से लेकर पूरब में बैद्यनाथ तक, उत्तर में बाबा केदारनाथ से लेकर दक्षिण में भारत के अंतिम छोर पर विराजमान श्री रामेश्वर तक, ये 12 ज्योतिर्लिंग पूरे भारत को आपस में पिरोने का काम करते हैं।
- इसी तरह, हमारे चार धामों की व्यवस्था, हमारे शक्तिपीठों की संकल्पना, हमारे अलग अलग कोनों में अलग-अलग तीर्थों की स्थापना, हमारी आस्था की ये रूपरेखा वास्तव में ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना की ही अभिव्यक्ति है।
- हमारा पर्यटन विभाग स्वदेश दर्शन कार्यक्रम के तहत 15 विभिन्न विषयों पर आधारित पर्यटन सर्किट विकसित कर रहा है। ये सर्किट पूरे क्षेत्रों में पर्यटन और रोजगार के अवसरों के विकास में मदद करेंगे।
- हमने पूरे देश में पर्यटन को बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाये हैं। भारत यात्रा और पर्यटन प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक पर 65वें स्थान पर था। 2019 तक ये 34वें स्थान पर पहुंच गया।
- ई-वीजा व्यवस्था और आगमन पर वीजा को आगे बढ़ाया गया है और वीजा शुल्क भी कम किया गया है। पर्यटन में आतिथ्य पर जीएसटी को भी कम किया गया है। इन सभी ने इस क्षेत्र को लाभान्वित किया गया और ये कोविड के बाद के युग में इसके पुन: विकास में काफी मदद करेगा।
- भारत ने 120 पर्वत चोटियों को ट्रेकिंग के लिए खोल दिया है। पर्यटकों को परेशानी मुक्त अनुभव सुनिश्चित करने के लिए गाइडों को प्रशिक्षित करने के कार्यक्रम शुरू किये गये हैं। इससे बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी पैदा हुए हैं।
- बाबा केदारनाथ का विकास हो या उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के लिए कठिन पहाड़ों में टनल व हाइवे का निर्माण हो, वैष्णो देवी मंदिर के आसपास विकास हो, या पूर्वोत्तर तक पहुंच रहा हाईटेक इंफ्रास्ट्रक्चर, आज देश में अपनों से दूरियां सिमट रही हैं।