Shri Radha Ashtami 2021: श्री राधा जी के बारे में प्रचलित है कि वो बरसाना की थीं लेकिन सच्चाई है कि उनका जन्म बरसाना से पचास किलोमीटर दूर हुआ था। ये गांव रावल के नाम से प्रसिद्ध है। यहां पर राधा जी का जन्म स्थान है।
कमल के फूल पर अवतरित हई राधारानी
रावल गांव में राधा जी का मंदिर है। माना जाता है कि यहां पर राधा जी का जन्म हुआ था। पांच हजार वर्ष पूर्व रावल गांव (Rawal Village) को छूकर यमुना जी बहती थी। राधा जी की मां कीर्तिदा यमुना में स्नान करते हुए आराधना करती थी और पुत्री की लालसा रखती थी। पूजा करते समय एक दिन यमुना से कमल का फूल प्रकट हुआ। कमल के फूल से सोने की चमक सी रोशनी निकल रही थी। इसमें छोटी बच्ची के नेत्र बंद थे। इस तरह भगवान कृष्ण की सर्वांगमयी आह्लिदिनी शक्ति आनंदमयी राधारानी (Anandmayi Radharani, the omnipotent Ahilidini Shakti of Lord Krishna) का अवतरण हुआ।
रावल गांव में कृष्णमयी राधारानी का अवतरण स्थल अब मंदिर का गर्भगृह है। इसके ग्यारह माह पश्चात् तीन किलोमीटर दूर मथुरा में कंस के कारागार में भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म हुआ था व रात में गोकुल में नंदबाबा के घर पर पहुंचाये गये। तब नंद बाबा ने सभी स्थानों पर संदेश भेजा और कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया। जब बधाई लेकर वृषभानु जी अपनी गोद में राधारानी को लेकर यहां आये तो राधारानी जी घुटने के बल चलते हुये बालकृष्ण के पास पहुंची। वहां बैठकर पालने में कृष्ण का स्पर्श करते ही श्री जी लाड़ली (Shree Ji Ladli) राधारानी के नेत्र खुले और उन्होंने पहला दर्शन बालकृष्ण का किया।
राधा और कृष्ण क्यों गये बरसाना
कृष्ण के जन्म के बाद से ही कंस का प्रकोप गोकुल में बढ़ गया था। यहां के लोग परेशान हो गये थे। नंदबाबा ने स्थानीय राजाओं को एकत्रित किया। उस समय ब्रज के सबसे बड़े राजा वृषभानु जी थे। उनके पास ग्यारह लाख गाय थीं। जबकि नंद जी के पास नौ लाख गाय थीं। जिसके पास सबसे अधिक गाय होतीं थीं, वो वृषभान कहलाते थे। उससे कम गाय जिनके पास रहती थीं, वो नंद कहलाए जाते थे। बैठक के बाद निर्णय हुआ कि गोकुल व रावल छोड़ दिया जाये। गोकुल से नंद बाबा और जनता पलायन करके पहाड़ी पर गये। उसका नाम नंदगांव (Nandgaon) पड़ा। वृषभान और कीर्तिदा जी राधारानी को लेकर पहाड़ी पर गये। उसका नाम बरसाना (Barsana) पड़ा।
रावल में मंदिर के सामने बगीचा, इसमें पेड़ स्वरूप में हैं राधा और श्याम
रावल गांव में राधारानी के मंदिर के ठीक सामने प्राचीन उपवन है। कहा जाता है कि यहां पर पेड़ स्वरूप में आज भी श्री राधा जी और श्री कृष्ण जी विद्यमान हैं। यहां पर एक साथ दो वृक्ष हैं। एक श्वेत है तो दूसरा श्याम रंग का। इसकी पूजा होती है। माना जाता है कि श्री राधा जी और श्री कृष्ण जी वृक्ष स्वरूप में आज भी यहां से यमुना जी को निहारते हैं।