Taliban: नयी सरकार बनने की देरी के बीच पंजशीर घाटी में तालिबान और नॉर्दन अलांयस के बीच घमासान

एजेंसियां/न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): पंजशीर घाटी में तालिबान और नॉर्दन अलांयस (Taliban and Northern Alliance) समेत विद्रोही गुटों की लड़ाई जारी है। कयास लगाये जा रहे थे कि तालिबान बीते शनिवार (4 सितंबर 2021) को घोषणा कर देगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ नयी सरकार का ऐलान करने में तालिबानी शीर्ष नेतृत्व देरी करता दिखा। फिलहाल दोनों ही तरफ के लोग पंजशीर घाटी (Panjshir Valley) में अपनी बढ़त का दावा करते दिख रहे है। ये इलाका आखिरी अफगान प्रांत है जो अभी तक तालिबान के कब़्जे से दूर बताया जा रहा है।

तालिबानी प्रवक्ता बिलाल करीमी (Taliban spokesman Bilal Karimi) ने हाल ही में कहा कि पंजशीर घाटी के खिज और उनाबा जिलों पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है। इसके बाद प्रांत के सात में से चार जिलों पर तालिबानी कब्जा कायम हो चुका है। इस बीच अहमद मसूद के अगुवाई में तैयार एंटी तालिबानी मोर्चें (Anti Talibani Fronts) ने कहा कि उन्होनें खावाक दर्रे में हजारों आतंकवादियों को घेर लिया है, साथ ही तालिबान दश्त रेवाक इलाके में कई वाहन और सैन्य उपकरणों छोड़ भागा है।

इलाके की महिलाओं की तारीफ करते हुए अहमद शाह मसूद ने फेसबुक पर पोस्ट कर लिखा कि पंजशीर घाटी 'दृढ़ता से खड़ी है' क्योंकि उनकी 'सम्माननीय बहनों' उसके साथ एकजुटता दिखाई है। पश्चिमी शहर हेरात (Western City Of Herat) में महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिये प्रदर्शन करते हुए दिखाया दिया कि अफ़गानों ने न्याय की माँगों को नहीं छोड़ा है और ये भी कि उन्हें किसी खतरे का डर नहीं है।

तालिबान के एक सूत्र ने पहले कहा था कि प्रांत की राजधानी बाजारक की ओर जाने वाली सड़क पर बारूदी सुरंगों (landmines) के कारण घाटी में उनकी बढ़त धीमी पड़ गयी है। देश के अन्य हिस्सों में तेजी से घुसपैठ करने के बाद राजधानी काबुल और राष्ट्रपति महल में कब़्जा करने के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान पर नियंत्रण कर लिया। हालांकि पंजशीर घाटी तालिबान के खिलाफ एकमात्र प्रांत है।

ये ध्यान दिया जाना चाहिए कि तालिबान कभी भी पंजशीर घाटी पर कब़्जा करने में सक्षम नहीं था। जब वे साल 1996 से साल 2001 तक अफगानिस्तान में सत्ता में थे, तब भी उनकी पकड़ में ये प्रांत ना आ सका। तालिबान के सूत्रों के मुताबिक अगले हफ़्ते अफगानिस्तान की नयी सरकार का ऐलान किया जायेगा क्योंकि तालिबान के सह-संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर (Mullah Abdul Ghani Baradar, co-founder of the Taliban) मुल्क की अगुवाई करने के लिये तैयार दिख रहे है।

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