एजेंसियां/न्यूज डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने जोर देकर कहा कि तालिबान (Taliban) को पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई के जरिये मैनेज किया जा रहा है। इस्लामाबाद एक औपनिवेशिक ताकत के तौर पर अफगानिस्तान की तबाही का जिम्मेदार है।
डेली मेल ने अमरुल्ला सालेह (Amarulla Saleh) के हवाले से कहा कि तालिबान के प्रवक्ता को पाकिस्तानी दूतावास से हर घंटे निर्देश मिलते रहते हैं। अमरुल्ला सालेह जिन्होंने खुद को अफगानिस्तान का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित किया है और अब पंजशीर घाटी में तालिबान के खिलाफ प्रतिरोध मोर्चा की अगुवाई कर रहे हैं।
डेली मेल में अमरुल्ला सालेह ने लिखा कि इस्लामबाद की हुक्मरान इलाके में खुद को औपनिवेशिक ताकत के तौर पर खुद को कारगर दिखाना चाहते है। लेकिन ये सब टिकने वाला नहीं है … उनका क्षेत्रीय नियंत्रण हो सकता है, लेकिन जैसा कि हमारे इतिहास में हमने देखा कि भूमि पर नियंत्रण का मतलब लोगों पर नियंत्रण या स्थिरता पर काबू पाना नहीं हो सकता है।
उन्होनें आगे लिखा कि तालिबान को ये जीत दिल और दिमाग नहीं मिली है, उन्होंने सिर्फ एक थके हुए अमेरिकी राष्ट्रपति की त्रुटिपूर्ण नीति का फायदा उठाया है। तालिबनियों को पाकिस्तानी कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई (Intelligence Agency ISI) के जरिये माइक्रो मैनेज किया जा रहा है। तालिबानी प्रवक्ताओं को पाकिस्तानी दूतावास से हर घंटे निर्देश मिलते रहते हैं।
सालेह ने पाकिस्तान और उसकी कुख्यात खुफिया एजेंसी पर अफगानिस्तान पर कब्जा करने और तालिबान का समर्थन करने का आरोप लगाया। विशेषज्ञों का मानना है कि चुनी हुई अफगान सरकार को सत्ता से हटाने और तालिबान को अफगानिस्तान में एक निर्णायक शक्ति के रूप में स्थापित करने में पाकिस्तान अहम खिलाड़ी रहा है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की एक निगरानी रिपोर्ट में कहा गया है कि अल-कायदा (Al Qaeda) के शीर्ष नेतृत्व का अहम हिस्सा अफगानिस्तान और पाकिस्तान सीमाई इलाके में रहता है।
सालेह ने पश्चिमी ताकतों पर हमला करते हुए कहा कि पश्चिम द्वारा अफगानिस्तान के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात हुआ है। उन्होने लिखा कि "20 सालों तक पश्चिमी नेताओं ने अफगान संविधान को खड़ा नहीं होने दिया और ये उस संविधान की भावना है जिसे मैं अपने दिल रखकर पंजशीर घाटी ले आया। अब हम में से जो यहां इकट्ठा हुए हैं वे इसी वादे को बनाये रखने के लिये लड़ रहे हैं।"
सालेह ने पश्चिमी देशों से तालिबान के साथ राजनीतिक समझौते के लिए दबाव बनाने का आह्वान किया, एक ऐसा समझौता जिसे अफगान लोगों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का समर्थन हासिल है। उन्होनें कहा कि नैतिक रूप से पश्चिमी ताकतों का हर अफगान का ऋणी है। मैं उनसे मुझे बचाने के लिये भीख नहीं मांग रहा हूं। मैं उनसे अपना चेहरा बचाने, अपनी गरिमा बचाने, अपनी प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता बचाने के लिये कह रहा हूं।"