न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): मौजूदा हालातों में केरल कोरोना महामारी के साथ निपाह वायरस के अचानक आये प्रकोप से जूझ रहा है। कोरोना वायरस और निपाह वायरस (Coronavirus & Nipah virus) प्रकृति में एक जैसे लग सकते हैं लेकिन ये ध्यान दिया जाना चाहिए कि ये वायरस काफी अलग हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक निपाह वायरस एक तरह का जूनोटिक संक्रमण (Zoonotic Infection) है (एक संक्रामक रोग जो प्रजातियों के बीच, जानवरों से मनुष्यों में फैलती है) साल 1999 में इस वायरस को अलग से पहचान दी गयी। इसका नाम मलेशिया के एक गांव सुंगई निपाह के नाम पर रखा गया।
निपाह वायरस सुअर, फल चमगादड़, कुत्ते, बकरी, बिल्ली, घोड़े और संभवतः भेड़ द्वारा फैल सकता है। ऐसा माना जाता है कि कुदरती तौर पर इस वायरस की उत्पत्ति “फ्लाइंग फॉक्स” (एक प्रकार का फ्रूट बैट) के जरिये होती है, लेकिन कोरोनावायरस की उत्पत्ति का अभी पता नहीं चल पाया है।
फिलहाल दोनों संक्रमणों का कोई इलाज नहीं है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (Center For Disease Control) ने कहा कि, “मौजूदा हालातों में निपाह वायरस (एनआईवी) संक्रमण के लिये कोई इलाज़ उपलब्ध नहीं है। इनका उपचार सहायक देखभाल तक ही सीमित है, जिसमें आराम, पर्याप्त मात्रा में जल लेना और लक्षणों का उपचार शामिल है।”
सीडीसी ने कहा कि "इम्यूनोथेराप्यूटिक उपचार (Monoclonal Antibody Therapy) हैं, जो वर्तमान में एनआईवी संक्रमण के उपचार के लिए विकास और मूल्यांकन के दौर से गुजर रहा है"
ग्लोबल वायरस नेटवर्क के मुताबिक निपाह वायरस का R0 (R naught) 0.43 होने का अनुमान लगाया गया था। जिसमें मृत्यु दर 45 प्रतिशत से 70 प्रतिशत के बीच है लेकिन कोविड के R0 में भारी उतार-चढ़ाव होता है और भारत और बाहर कई बार ये 1 प्रतिशत के निशान से ऊपर रहा है। यही कारण है कि ये इतनी आसानी से तेजी से फैलता है।
निपाह वायरस का प्रकोप मलेशिया, सिंगापुर, बांग्लादेश और भारत में दर्ज किया गया है। कंबोडिया, इंडोनेशिया, मेडागास्कर, थाईलैंड और तिमोर-लेस्ते समेत कई देशों में भी ये वायरस चमगादड़ों को अपना शिकार बनाकर इंसानों के बीच फैल रहा है। दूसरी ओर दुनिया भर के 221 देशों और इलाके कोरोना वायरस के मामले सामने आये हैं।
कोरोना वायरस के लक्षणों में बुखार, सूखी खांसी, थकान, दर्द और, गंध की कमी आदि शामिल हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार "कोविड -19 के लिए अब तक के आंकड़ों से पता चलता है कि 80 प्रतिशत संक्रमण हल्के या एसिम्पोमेटिक हैं, 15 फीसदी गंभीर इंफेक्शन होते है, जिनमें ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है और साथ ही 5 प्रतिशत गंभीर संक्रमण होते हैं, जिन्हें वेंटिलेशन की जरूरत होती है। मामला गंभीर होने पर इसके लक्षण इन्फ्लूएंजा (Influenzae) जैसे या उससे भी ज़्यादा होते है।
मनुष्यों में निपाह वायरस का संक्रमण कई तरह के लक्षणों के तौर पर सामने आता है। संक्रमित लोगों को शुरू में बुखार, सिरदर्द, मायलगिया (मांसपेशियों में दर्द), उल्टी और गले में खराश होती है। इसके बाद चक्कर आना, उनींदापन, चेतना में बदलाव और तंत्रिका संबंधी दिक्कतें हो सकती है जो तीव्र एन्सेफलाइटिस (Acute Encephalitis) की ओर इशारा करते है।