न्यूज डेस्क (वृन्दा प्रियदर्शिनी): प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आज को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये “शिक्षक पर्व” (‘Shikshak Parv) सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने शिक्षा क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पहलों की भी शुरुआत की। प्रधान मंत्री मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने भारतीय सांकेतिक भाषा (Sign language) शब्दकोश (श्रवण बाधितों के लिए ऑडियो और टेक्स्ट एम्बेडेड सांकेतिक भाषा वीडियो, सीखने के सार्वभौमिक डिजाइन के अनुरूप), टॉकिंग बुक्स (दृष्टिहीनों के लिए ऑडियोबुक), सीबीएसई, NISHTHA के स्कूल गुणवत्ता आश्वासन और आकलन फ्रेमवर्क का भी शुभारंभ किया।
NIPUN भारत और विद्यांजलि पोर्टल (Vidyanjali Portal) के लिये शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम (स्कूल विकास के लिए शिक्षा स्वयंसेवकों / दाताओं / सीएसआर योगदानकर्ताओं की सुविधा के लिए) हेतु तैयार किया गया। ‘शिक्षक पर्व-2021’ का विषय “गुणवत्ता और सतत विद्यार्जन: भारत में स्कूलों से सीखना” था।
ये न केवल सभी स्तरों पर शिक्षा की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए बल्कि देश भर के स्कूलों में गुणवत्ता, समावेशी और शिक्षा प्रणाली में स्थिरता (Stability In The Education System) के साथ सुधार के लिए नये तौर तरीकों को प्रोत्साहित करेगा। इस मौके पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री जितिन प्रसाद भी मौजूद थे।
शिक्षक पर्व कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने कही ये अहम बातें
- मैं सबसे पहले, राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले हमारे शिक्षकों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। आप सभी ने कठिन समय में देश में शिक्षा के लिए, विद्यार्थियों के भविष्य के लिए जो योगदान दिया है, वो अतुलनीय है, सराहनीय है।
- आज शिक्षक पर्व के अवसर पर अनेक नई योजनाओं का प्रारंभ हुआ है। ये initiatives इसलिए भी अहम है क्योंकि देश अभी आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। आज़ादी के 100 वर्ष होने पर भारत कैसा होगा, इसके लिए नए संकल्प ले रहा है।
- NEP के formulation से लेकर implementation तक, हर स्तर पर academicians का, experts का, teachers का, सबका योगदान रहा है। आप सभी इसके लिए प्रशंसा के पात्र हैं। अब हमें इस भागीदारी को एक नए स्तर तक लेकर जाना है, हमें इसमें समाज को भी जोड़ना है।
- देश ने ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के साथ ‘सबका प्रयास’ का जो संकल्प लिया है, ‘विद्यांजलि 2.0’ उसके लिए एक platform की तरह है। इसमें हमारे समाज को, हमारे प्राइवेट सेक्टर को आगे आना है और सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में अपना योगदान देना है।
- जब समाज मिलकर कुछ करता है, तो इच्छित परिणाम अवश्य मिलते हैं। और आपने ये देखा है कि बीते कुछ वर्ष में जनभागीदारी अब फिर भारत का नेशनल कैरेक्टर बनता जा रहा है। पिछले 6-7 वर्षों में जनभागीदारी की ताकत से भारत में ऐसे-ऐसे कार्य हुए हैं, जिनकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था।
- शिक्षा में असमानता को खत्म करके उसे आधुनिक बनाने में National Digital Educational Architecture यानी, N-DEAR की भी बड़ी भूमिका होने वाली है। जैसे UPI इंटरफेस ने बैंकिंग सेक्टर को revolutionize किया है, वैसे ही N-DEAR सभी academic activities के बीच एक सुपर कनेक्ट का काम करेगा।
- आप सभी इस बात से परिचित हैं कि किसी भी देश की प्रगति के लिए education न केवल Inclusive होनी चाहिए बल्कि equitable भी होनी चाहिए। इसीलिए, आज देश Talking बुक्स और Audio बुक्स जैसी तकनीक को शिक्षा का हिस्सा बना रहा है।
- तेजी से बदलते इस दौर में हमारे शिक्षकों को भी नई व्यवस्थाओं और तकनीकों के बारे में तेजी से सीखना होता है। ‘निष्ठा’ ट्रेनिंग प्रोग्राम्स के जरिए देश अपने टीचर्स को इन्हीं बदलावों के लिए तैयार कर रहा है।
- भारत के शिक्षकों में किसी भी ग्लोबल स्टैंडर्ड पर खरा उतरने की क्षमता तो है ही, साथ ही उनके पास अपनी विशेष पूंजी भी है। उनकी ये विशेष पूंजी, ये विशेष ताकत है उनके भीतर के भारतीय संस्कार।
- हमारे शिक्षक अपने काम को केवल एक पेशा नहीं मानते, उनके लिए पढ़ाना एक मानवीय संवेदना है, एक पवित्र नैतिक कर्तव्य है। इसीलिए, हमारे यहाँ शिक्षक और बच्चों के बीच professional रिश्ता नहीं होता, बल्कि एक पारिवारिक रिश्ता होता है। और ये रिश्ता, ये संबंध पूरे जीवन का होता है।