Ganesh Chaturthi 2021: भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य का देवता (God of Wisdom, Prosperity and Good Luck) माना जाता है। वे भक्तों के कष्टों का निवारण करते हैं। यदि कोई भक्त श्री गणेश का श्रद्धा और भक्ति के साथ सिर्फ नाम भी ले लेता है तो उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। गणेशजी की विधिपूर्वक आराधना कर उनकी प्रिय वस्तुएं समर्पित करने से भक्तों को मनोवांछित फल प्राप्त होता है। गणेशजी वैसे तो बहुत भोले माने जाते हैं लेकिन उनकी आराधना के दौरान भक्तों को कुछ सावधानियां बरतना चाहिए।
घर में बाईं सूंड वाले गणेशजी की स्थापना करें:
श्रीगणेश की पूजा में उनकी सूंड किस दिशा में है इसका भी बड़ा महत्व है। शास्त्रों के अनुसार घर में बाईं सूंड वाले गणेशजी की स्थापना करना चाहिए। इस तरह के गणेशजी की स्थापना करने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं, जबकि दाईं सूंड वाले गणेशजी सख़्त नियम और गहन उपासना से प्रसन्न होते हैं। इसलिए गृहस्थों को बाईं सूंड वाले गणेशजी की आराधना करना चाहिये।
गणेशजी को उनकी प्रिय चीजें अर्पित करे-
मोदक: मोदक ये गणेशजी को बहुत प्रिय है और इसका भोग लगाने से वे भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करते हैं।
हरी दूर्वा: हरी दूर्वा घास गणेशजी को बहुत पसंद है। हरी दुर्वा उनको शीतलता प्रदान करती है।
बूंदी के लड्डू: बूंदी के लड्डू भी गणेशजी को अतिप्रिय है। बूंदी के लड्डू का भोग लगाने से गणपतिजी अपने भक्तों को धन-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
श्रीफल: गणेशजी को फलों में श्रीफल बहुत पसंद है, इसलिए गजानन की आराधना में श्रीफल जरूर समर्पित करे।
सिंदूर: गणेशजी को प्रसन्न करने के लिये सिंदूर का तिलक लगाया जाता है। गणपतिजी को सिंदूर का तिलक लगाने के बाद अपने माथे पर भी सिंदूर का तिलक लगाना चाहिए।
लाल फूल: श्रीगणेश को लाल फूल प्रिय है, इसलिये गणपति की पूजा के दौरान लाल फूल चढ़ाने का विधान है। इससे वे जल्दी प्रसन्न होते हैं।
शमी की पत्ती: गणेश पूजा में शमी की पत्ती चढ़ाने से घर में धन एवं सुख की वृद्धि होती है।
गणेशजी की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ अवश्य करें।
इन बातों का रखे विशेष ध्यान -
गणेशजी की पीठ के दर्शन ना करें:
शास्त्रों के अनुसार श्रीगणेश (Shri Ganesh) के सबसे पहले दर्शन करने से सभी कार्य सिद्ध होते हैं और उनके शरीर पर ब्रह्माण्ड के सभी तत्व निवास करते हैं, लेकिन शास्त्रों में गणेशजी की पीठ के दर्शन करने को निषेध बताया गया है। गणेशजी की पीठ में दरिद्रता का वास होता है, इसलिए गणपतिजी की पीठ के दर्शन नहीं करना चाहिए। अगर भूलवश पीठ के दर्शन हो गये हों तो गणेशजी से क्षमायाचना कर लेना चाहिए।
तुलसी का प्रयोग ना करे :
गणेशजी की पूजा में तुलसी दल का प्रयोग भूलकर भी नहीं करना चाहिए। तुलसी के प्रयोग से श्रीगणेशज नाराज हो जाते हैं। पुराणों के अनुसार तुलसीजी श्रीगणेश से विवाह करना चाहती थी। गणेशजी के इंकार करने पर तुलसीजी ने गणेशजी को श्राप दे दिया था। गणेशजी की पूजा के साथ पत्नी रिद्धि और सिद्धि और पुत्र शुभ और लाभ की पूजा करना चाहिए।
पुरानी प्रतिमा को कर दें विसर्जित:
गणेश चतुर्थी के दिन यदि घर में गणेश प्रतिमा की स्थापना कर रहे हैं तो पुरानी वाली प्रतिमा को विसर्जित कर दे। शास्त्रों के अनुसार घर में तीन गणेश प्रतिमा नहीं रखनी चाहिये। क्योंकि भाद्रपद मास की चतुर्थी (Chaturthi of Bhadrapada month) को जिस प्रतिमा की स्थापना की जाती है उसका अनन्त चतुर्थी तक विसर्जन कर देना चाहिए।
चंद्र दर्शन दोष से बचाव -
प्रत्येक शुक्ल पक्ष चतुर्थी को चन्द्रदर्शन के पश्चात् व्रती को आहार लेने का निर्देश है, इसके पूर्व नहीं। किंतु भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को रात्रि में चन्द्र-दर्शन (चन्द्रमा देखने को) निषिद्ध किया गया है।
जो व्यक्ति इस रात्रि को चन्द्रमा को देखते हैं उन्हें झूठा-कलंक प्राप्त होता है। ऐसा शास्त्रों का निर्देश है। ये अनुभूत भी है। इस गणेश चतुर्थी को चन्द्र-दर्शन करने वाले व्यक्तियों को उक्त परिणाम अनुभूत हुए, इसमें संशय नहीं है। यदि जाने-अनजाने में चन्द्रमा दिख भी जाये तो निम्न मंत्र का पाठ अवश्य कर लेना चाहिये।
'सिहः प्रसेनम् अवधीत्, सिंहो जाम्बवता हतः। सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्वमन्तकः॥'
Ganesh Chaturthi का शुभ मुहूर्त -
गणेश चतुर्थी शुक्रवार, 10 सितम्बर 2021
मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त -
11:09 पूर्वाह्न से 01:38 अपराह्न
वर्जित चन्द्रदर्शन का समय
09:14 पूर्वाह्न से 09:05 रात्रि
Ganesh Chaturthi के अवसर पर बन रहा है विशेष नक्षत्र संयोग
गणेश चतुर्थी की आप सभी को ढेरों शुभकामनाएं। आज 6 ग्रहों का शुभ योग बन रहा है। चतुर्थी पर आज 6 ग्रह श्रेष्ठ स्थिति में होंगे बुध कन्या, शुक्र तुला, राहु वृषभ, शनि मकर, केतु वृश्चिक राशि में रहेंगे, जो कारोबारियों के लिये बहुत लाभदायक है। वहीं इस बार चित्रा-स्वाति नक्षत्र के साथ रवि योग भी बन रहा है। पूजा का शुभ मुहूर्त पूर्वान्ह 11:30 बजे से अपरान्ह 01:33 बजे तक का माना गया है, हालांकि शुभ मुहूर्त अपरान्ह 12:18 बजे से चतुर्थी की समाप्ति रात्रि 09:57 बजे तक है।