हरि सिंह नलवा (Hari Singh Nalwa) जिनके डर से पठान आज भी महिलाओं के कपड़े पहनते हैं। जिसे आज पठानी सूट कहा जाता है वो दरअसल स्त्रियों द्वारा पहने जाने वाला सलवार कमीज (Salwar Kameez) है। एक बार एक बुर्जुग सरदार जी ने भाषण के दौरान कड़कती आवाज में कहा था कि ….. हमारे पूर्वज हरि सिंह नलवा ने पठानों को सलवार पहना दी थी। आज भी सिखों के डर से पठान सलवार पहनते हैं।
इतिहास की सच्ची घटना जिसे खुद मियां गुल औरंगजेब (Mian Gul Aurangzeb) ने कबूल किया था। (मियां गुल औरंगजेब पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और तानाशाह अयूब खान के दामाद और बलूचिस्तान के पूर्व गवर्नर रहे हैं)
“महाराजा रणजीत सिंह (Maharaja Ranjit Singh) की आर्मी हरि सिंह नलवा की लीडरशिप में 1820 में फ्रंटियर में आयी थी। हरि सिंह नलवा की फौज ने बहुत आसानी से पठानों पर जीत हासिल कर ली थी।
पूरे लिखित इतिहास में यही एक ऐसा समय है, जब पठानों पर महाराजा रणजीत सिंह का शासन लागू हो गया और वो गुलाम हो गये। सिखों की सेना से पठान इतने ज्यादा घबराये हुए थे कि बाजार में सिखों को देखते ही सारे के सारे छुप जाया करते थे।
जिसने भी सिखों का विरोध किया उनको बेरहमी से कुचल दिया गया। उस समय ये बात बहुत प्रचलित हो गयी थी कि सिख तीन लोगों के प्राण नहीं लेते हैं... पहला स्त्रियां... दूसरा बच्चे और तीसरा बुजुर्ग।
इसके बाद पठान पंजाबी महिलाओं (Punjabi Women) के द्वारा पहना जाने वाला सलवार कमीज पहनने लगे। यानि एक ऐसा समय आ गया जब महिलायें और पुरुष एक जैसे ही कपड़े पहनने लगे। इसके बाद सिख भी उन पठानों को मारने से परहेज करने लगे जिन्होंने महिलाओं के सलवार धारण कर लिये।
दरअसल पठानों का सलवार पहनना एक तरह से सिख आर्मी (Sikh Army) के सामने पठानों का सरेंडर था और सरेंडर होने वालों पर सिख वैसे भी कभी हमला नहीं करते हैं।"
ये बयान आज भी डिफेंस.पीके वेबसाइट पर मौजूद है। पाकिस्तान के लोगों के विरोध के बावजूद भी इस वेबसाइट ने मियां गुल औरंगजेब का ये बयान नहीं हटाया क्योंकि ये पाकिस्तानी वेबसाइट ये मानती है कि जब तक पाकिस्तानी मुसमलानों को अपनी कायरता का पता नहीं चलेगा वो झूठी डींगे मारते रहेंगे और भारत से हमेशा हारते रहेंगे।
इसके अलावा दो किताबों में भी इस घटना के प्रमाण मिलते हैं... पहली किताब... हरि सिंह नलवा... द चैंपियन ऑफ खालसा जी... इस किताब के पेज नंबर 264 पर हरि सिंह नलवा के समय में घटी इस घटना का जिक्र है। इस किताब के पेज नंबर 264 पर ये भी लिखा है कि हरि सिंह नलवा ने पठानों से टैक्स मांगा था।
तब पठानों ने सिर्फ ये देखने के लिये कि हरि सिंह नलवा क्या करेंगे? टैक्स देने से इनकार कर दिया। गुस्से में आंख लाल करके हरि सिंह नलवा ने अपनी तलवार मयान से बाहर निकाल दी, तब पठानों ने घुटनों पर बैठकर माफी मांगी और कहा कि टैक्स देंगे। लेकिन हरि सिंह नलवा ने अपनी तलवार म्यान में नहीं डाली और कहा कि मेरी तलवार म्यान से निकल चुकी है।
अब बिना अपना काम किये नहीं लौटेगी... मुझे पांच पठानों के सिर चाहिये। तब पठानों ने बहुत मिन्नतें करके पांच बकरियां हरि सिंह नलवा को दी थीं कि इन्हें काटकर अपनी तलवार की खून की प्यास बुझा लें।
ये रौब था हरि सिंह नलवा का। जिन पठानों को दुनिया के बेस्ट फाइटर्स में से एक माना जाता है उन पठानों को भी हरि सिंह नलवा ने छठी का दूध याद दिला दिया था।