Padmanabhaswamy Temple: रहस्य और संपत्ति से भरपूर है पद्मनाभस्वामी मंदिर, जाने इसके बारे में

भारत के प्रमुख वैष्णव मंदिरों में से एक पद्मनाभस्वामी मंदिर (Padmanabhaswamy Temple) लोगों की आस्था का केंद्र है। ये प्रमुख मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। केरल के तिरुवनन्तपुरम (Thiruvananthapuram) में स्थित इस अद्भुत मंदिर के दर्शन करने लोग देश-विदेश से आते हैं। मंदिर की विशालता और इसकी सुंदरता लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है।

मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की विशाल मूर्ति विराजमान है। जिसमें भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन मुद्रा में स्थापित हैं। श्री विष्णु का रहस्यमय मंदिर विश्वभर का सबसे अमीर मंदिर माना जाता है। मंदिर की तुलना स्विट्जरलैंड की संपत्ति के बराबर होती है क्योंकि मंदिर की संपत्ति करीब 1,32,000 करोड़ के लगभग है।

मंदिर का रहस्य और संपत्ति

मंदिर की रहस्यमय कहानियों के पीछे कई बड़े राज छुपे हैं जिन्हें जानकर सभी हैरान हो जाते हैं। मंदिर का उल्लेख ग्रंथों में भी आता है। श्री विष्णु का पद्मनाभ मंदिर 18वीं शताब्दी में त्रावणकोर के राजाओं ने बनवाया था। त्रावणकोर के राजाओं ने अपनी दौलत पद्मनाभ मंदिर को सौंप दी और उसके बाद पूरे शाही परिवार (Royal Family Of Travancore) ने खुद को भगवान पद्मनाभ को समर्पित कर दिया था।

वर्तमान समय में पद्मनाभ मंदिर की देखरेख शाही परिवार के अधीनस्थ एक प्राइवेट ट्रस्ट करता है। लेकिन भारत के इस प्रसिद्ध मंदिर की संपत्ति और रहस्य को देखते हुए कई बार जनता ने मंदिर के द्वार खोलने की बात कही और सुप्रीम कोर्ट  (Supreme court) के आदेश पर इसके द्वार खोले भी गये हैं लेकिन अब तक मंदिर के 6 द्वार खोले गये हैं जिनमें करीब 1,32,000 करोड़ की संपत्ति मिली है। दूसरी ओर मंदिर का सांतवा द्वार अब तक रहस्य का कारण बना हुआ है। पूरी दुनिया की नजरें इस द्वार पर टिकी हुई है। मंदिर का द्वार काफी रहस्यमय है लेकिन क्यों आइये आपको बताते हैं...

पद्मनाभ मंदिर के सातवें द्वार को खोलने और उसके खजाने को खोलने की बात होती है तो एक डर और अनहोनी की कहानी सामने आ जाती हैं। मंदिर के सातवें द्वार पर कोई ताला नहीं लगा है, ना ही कोई कुंड़ी लगी है। बल्कि सांपों के प्रतिबिंब ही इस द्वार की रक्षा करते हैं और इस गेट को खोलने के लिये किसी कुंजी की ज़रूरत नहीं पड़ती है। सातवें द्वार को मंत्रोच्चारण की मदद से ही खोला जा सकता है। ये एक गुप्त गृह है, जिसके द्वार को खोलने के लिये 16वीं सदी के सिद्ध पुरूष, योगी या फ़िर किसी तपस्वी की आवश्यकता है। गरुड़ मंत्र (Garuda Mantra) की मदद से ही इस द्वार को खोला जा सकता है। नियमों के मुताबिक गरुड़ मंत्र का स्पष्ट तरीके से उच्चारण करने वाला सिद्ध पुरूष ही इस गेट को खोल पायेगा। अगर उच्चारण सही से नहीं किया गया तो उसकी मृत्यु हो सकती है।

मंदिर के सातवें द्वार के खुलने पर आ सकती है प्रलय

सातवें दरवाजे को खोलने के बारे में देश का उच्चतम न्यायालय फैसला करने वाला है। वहीं मंदिर के बारे में 90 वर्षीय त्रावणकोर राजपरिवार के प्रमुख तिरुनल मार्तंड वर्मा (Tirunal Marthanda Varma) का कहना है कि मंदिर के सातवें द्वार के खुलने का मतलब देश में प्रलय (Holocaust) आना है।

कई लोगों का मानना है कि इसे रहस्य ही रहने दिया जाये। इस मंदिर से मिली संपत्ति को देखकर अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि वाकई ये काफ़ी रहस्यमयी मंदिर है। कई लोगों का मानना है कि सभी संपतियों को जनता की भलाई के कामों में लगा देना चाहिये, जो काफ़ी हद तक सही भी है।

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