Kartik Purnima: कथा, दान और स्नान की कार्तिक पूर्णिमा, जाने इससे जुड़ी कथा

कार्तिक मास की पूर्णिमा (Kartik Purnima) को कार्तिक पूर्णिमा, त्रिपुरारी पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है। इस बार कार्तिक मास की पूर्णिमा 19 नवंबर 2021 को है। शास्त्रों में कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने का बहुत महत्व बताया गया है। इस दिन गंगा स्नान करने से पूरे वर्ष गंगा स्नान करने का फल मिलता है। इस दिन गंगा सहित पवित्र नदियों एवं तीर्थों में स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। पापों का नाश होता हैं। कार्तिक पूर्णिमा हमें देवों की उस दीपावली में शामिल होने का अवसर देती है जिसके प्रकाश से प्राणी के भीतर छिपी तामसिक वृतियों का नाश होता है।.

कार्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त

कार्तिक पूर्णिमा इस साल 19 नवंबर है हालांकि पूर्णिमा तिथि 18 नवंबर से ही लग जाएगी जो 19 नवंबर को समाप्त होगी।

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 18, 2021 को 12:00 पूर्वाह्न

पूर्णिमा तिथि समाप्त – नवम्बर 19, 2021 को 02:26 अपराह्न

गंगा स्नान

शास्त्रों के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा को स्नान अर्घ्य, तर्पण, जप-तप, पूजन,कीर्तन और दान-पुण्य करने से स्वयं भगवान विष्णु, प्राणियों को ब्रह्मघात और अन्य कृत्या-कृत्य पापों से मुक्त करके जीव को शुद्ध कर देते हैं।

दीपदान करने का महत्व

कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान का भी विशेष महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन देव दीवाली भी मनायी जाती है। मान्यता है कि सभी देवता गंगा नदी के घाट पर आकर दीप जलाकर अपनी प्रसन्नता को दर्शाते हैं और दिवाली मनाते हैं। इसलिए इस दिन नदी के तट पर दीपदान का बहुत ही महत्व माना जाता है। इस दिन नदी सरोवर आदि जगहों पर दीपदान (Deepdaan) करने से समस्यायें दूर होती हैं, आर्थिक कष्टो से छुटकारा मिलता है। अगर आप किसी नदी या सरोवर पर न जा पाये तो किसी मंदिर में जाकर दीप प्रज्वलित करने चाहिए।

दान करने का महत्व

इस दिन स्नान करने के साथ ही दान भी अवश्य करना चाहिए। कार्तिक पूर्णिमा के दिन किये गये दान का कई गुना ज्यादा पुण्य फल प्राप्त होता है। कार्तिक पूर्णिमा को दूध, चावल और शक्कर आदि का दान करना चाहिए। थोड़ी मात्रा में इन चीजों के जल में भी प्रवाहित करना चाहिये। इसके अलावा आप जो भी अन्न और वस्त्र दान कर सकते है क्षमतानुसार करना चाहिये।

कर्ज मुक्ति के लिए

पूर्णिमा के दिन स्नान के बाद श्री सत्यनारायण की कथा (Katha of Shree Satyanarayan) का श्रवण, गीता पाठ ,विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ व 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' का जप करने से प्राणी पापमुक्त-कर्जमुक्त होकर विष्णु की कृपा पाता है। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए इस दिन आसमान के नीचे सांयकाल घरों, मंदिरों, पीपल के वृक्षों और तुलसी के पौधों के पास दीप प्रज्वलित करने चाहिए, गंगा आदि पवित्र नदियों में दीप दान करना चाहिये।

शत्रु पर विजय प्राप्त करने के लिये

पुराणों के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर सम्पूर्ण सद्गुणों की प्राप्ति और शत्रुओं पर विजय पाने के लिये कार्तिकेय जी के मंदिर जाकर दर्शन अवश्य करें।

कार्तिक पूर्णिमा से जुड़ी पौराणिक कथा

एक कथा के अनुसार त्रिपुरासुर (Tripurasura) नाम के राक्षस ने तीनों लोकों में आतंक मचा रखा था। धीरे-धीरे उसने स्वर्ग लोक पर भी अपना अधिकार जमा लिया। त्रिपुरासुर ने प्रयाग में काफी दिनों तक तपस्या की। उसके तप के तेज से तीनों लोक जलने लगे। तब ब्रह्मा जी उसके सामने प्रकट हुए और उससे वरदान मांगने को कहा। त्रिपुरासुर ने वरदान मांगा कि उसे देवता, स्त्री, पुरुष, जीव ,जंतु, पक्षी, निशाचर कोई भी ना मार सके।

इसी वरदान के मिलते ही त्रिपुरासुर अमर हो गया और देवताओं पर अत्याचार करने लगा। तब सभी देवताओं ने ब्रह्मा जी के पास जाकर त्रिपुरासुर के अंत का उपाय पूछा। ब्रह्मा जी ने त्रिपुरासुर के अंत का रास्ता बताया। इसके बाद सभी देवता भगवान शंकर के पास पहुंचे और उनसे त्रिपुरासुर का वध करने की प्रार्थना की। तब महादेव ने उस राक्षस का वध किया। यही कारण है कि कई जगहों पर इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं।

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